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पुलिस की गाड़ी ने इकलौते बेटे को कुचला, इलाज में खर्च हो गए 15 लाख, बेबस पिता को मदद का इंतजार

पिता घेवरराम ने पत्रकार वार्ता में बताया कि उसकी तीन पुत्रियां व सबसे छोटा पुत्र राधेश्याम है। पत्नी नहीं है। पुलिस की गाड़ी से घायल होने के बाद इकलौते पुत्र का आधा हिस्सा काम नहीं कर रहा है।

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माता का थान क्षेत्र में पुलिस की बोलेरो से गंभीर घायल मासूम और ऑटो चालक पिता व घरवाले दो साल बाद भी चालक की लापरवाही का दंश भुगत रहे हैं। हादसे में इकलौता पुत्र का आधा हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। फेफड़ों व पसलियों के पांच, सिर के दो, रीढ की हड्डी का एक ऑपरेशन करवाया जा चुका है, लेकिन अभी भी मासूम की हालत जस की तस है। ऑटो चालक पिता दो साल में ब्याज पर उधार लाकर 15 लाख से अधिक रुपए पुत्र के इलाज पर खर्च कर चुका है। अब अहमदाबाद के निजी अस्पताल ने एक और ऑपरेशन के लिए 2.60 लाख रुपए का खर्च बताया है। परेशान पिता ने सरकार व पुलिस प्रशासन से इकलौते पुत्र के इलाज में मदद की गुहार लगाई है।

अभी भी और मदद की दरकार
पिता घेवरराम ने पत्रकार वार्ता में बताया कि उसकी तीन पुत्रियां व सबसे छोटा पुत्र राधेश्याम है। पत्नी नहीं है। पुलिस की गाड़ी से घायल होने के बाद इकलौते पुत्र का आधा हिस्सा काम नहीं कर रहा है। फेफड़ों के पांच ऑपरेशन करवाए, लेकिन सभी विफल रहे। वो सुधबुध खोता जा रहा है। महापौर कुंती परिहार और पार्षद भैरुसिंह ने तत्कालीन सरकार से 6 लाख रुपए की मदद दिलवाई थी, लेकिन अभी भी और मदद की दरकार है। गत दिनों अहमदाबाद ले जाया गया था, जहां जांच के बाद एक ऑपरेशन की जरूरत बताई गई थी। उसका अनुमाति खर्च 2.60 लाख रुपए बताया गया था। वह दो साल में 15.60 लाख रुपए उधार लाकर इलाज में खर्च कर चुका है। वह 15-20 हजार रुपए ब्याज दे रहा है। पत्नी के न होने से ऑटो चालक पिता पर तीन पुत्रियों के लालन-पालन का जिम्मा भी है।

साइकिल सवार मासूम को कुचला था
9 जनवरी 2022 को वायुसेना के काफिले को एस्कॉर्ट करने के दौरान तेज रफ्तार से आई पुलिस की बोलेरो ने माता का थान में साइकिल लेकर खड़े राधेश्याम पुत्र घेवरराम को कुचल दिया था। वह गंभीर घायल हो गया था। चालक के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाई गई थी। हादसे से राधेश्याम के शरीर का एक तरफ का हिस्सा 60 प्रतिशत लकवाग्रस्त या विकलांग हो चुका है।

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पुलिस ने मदद का भरोसा दिलाया था, हाल तक नहीं जाना
पिता का कहना है कि हादसे के बाद क्षेत्रवासियों ने प्रदर्शन किया था। तब पुलिस अधिकारियों ने परिजन से वार्ता कर हर संभव आर्थिक सहायता दिलाने का भरोसा दिलाया था, लेकिन पुलिस से कोई मदद तक नहीं मिली। इतना ही नहीं, पुलिस ने बालक के हालचाल तक जानने के प्रयास नहीं किए।

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