
Spice: मौसम में बदलाव के बावजूद 140 की जगह 100 दिन में हो गया जीरा
जोधपुर. मौसमी परिसिथतियों में बदलाव के बावजूद लगातार चौथे साल केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान ने स्वयं की ओर से विकसित जीरे की नई वैरायटी सीजेडसी-94 का 100 दिन में उत्पादन ले लिया है। काजरी के खेत में जीरे की हार्वेस्टिंग शुरू हो चुकी है जबकि दूसरी ओर किसानों के खेतों में अन्य वैरायटी का जीरा अभी तक पका भी नहीं है। उसके एक महीना और लगेगा। काजरी ने सीजेडसी-94 वैरायटी को किसानों को उपलब्ध कराने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्द ही यह वैरायटी रीलिज होगी। वर्तमान में राजस्थान में 80 फीसदी किसान गुजरात की जीरे की वैरायटी जीसी-4 उगाते हैं जो 1330 से 140 दिन में पकती है।
क्या है फायदा
- सीजेडसी-94 मौसम में बदलाव की मार से पहले ही पककर गोदामों में पहुंच जाता है। वर्तमान में अधिकांश जीरा ब्लाइट के कारण खराब होता है। बादल आने और तापमान अधिक होने से जीरा काला पड़ जाता है। कई बार एक ही दिन में जीरे की पूरी फसल खराब हो जाती है।- इसके अलावा काजरी की वैरायटी विल्ट रोग के प्रति भी कुछ हद तक रोग प्रतिरोधक है।
- सौ दिन में वैरायटी होने से पानी, कीटनाशक और बिजली भी बचेगी। किसानेां की आमदनी बढ़ेगी।- सौ दिन में जीरा होने से किसान एक अतििरक्त फसल अपनी खेत से ले सकेगा।
मालामाल हो जाएंगे किसान, विश्व में जीरे का सबसे निर्यातक है भारत
- विश्व में सर्वाधिक जीरा भारत में होता है। भारत में भी केवल गुजरात और राजस्थान में जीरा होता है। सीरिया व तुर्की से ही भारत को प्रतिस्पर्द्धा है। स्पाइस बोर्ड के मुताबिक वर्ष 2020-21 में भारत ने 2.99 लाख टन जीरे का निर्यात किया था जबकि सीरिया व तुर्की दोनों ने मिलाकर केवल 40 हजार टन किया। कीमत के अनुसार वर्ष 2021 में 4253 करोड़ का जीरा निर्यात किया जो वर्ष 2020 के 3328 से लगभग एक हजार करोड़ रुपए अधिक है।
केवल गुजरात व राजस्थान में ही जीरा
पांच साल में ऐसे बढ़ा जीरे का उत्पादन
वर्ष -------- गुजरात------- राजस्थान
2016------ 291490 ------206940
2017 ------ 384470 ------302930
2018 ------ 319862------ 378654
2019 ------ 481556------ 428146
2020 ------ 429192 ------425000
(गुजरात में मौसम बेहतर होने, मिट्टी अच्छी होने और किसानों को अत्यधिक सुविधा देने की वजह से वहां राजस्थान की तुलना में प्रति हेक्टेयर जीरे का उत्पादन अधिक है।)
इस साल जीरा कम, बुवाई कम
राजस्थान सहित गुजरात में इस साल बुवाई कम होने से जीरे का उत्पादन घट गया है लेकिन इससे किसानों को नुकसान नहीं होगा। गत वर्ष के 100-110 की तुलना में इस साल जीरे के मंडी भाव करीब 200 रुपए किलो रहने की उम्मीद है।
"वैसे हमनें 10-15 किसानों को प्रदर्शन के लिए जीरे की यह वैरायटी दी है। सीजेडसी-94 को शीघ्र रीलिज करवाया जाएगा। इससे किसानों की आमदमी कई गुना बढ़ जाएगी।"
-डॉ आरके कांकाणी, प्रधान वैज्ञानिक, काजरी जोधपुर
Published on:
27 Feb 2022 05:56 pm
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