
jodhpur
जोधपुर।सीज बहुमंजिला इमारतें
खोलने के कड़े प्रावधानों के बावजूद शहर में नियम विरूद्ध धड़ल्ले से अवैध
बहुमंजिला इमारतें खड़ी हो रही हैं। कहने को शहर में आए दिन सीज की कार्रवाई होती
है, लेकिन यह भी कड़वा सच है कि आज तक कोई भी इमारत स्थाई रूप से सीज नहीं की जा
सकी। कई इमारतें सीज होने के बावजूद भी निर्माण चलता रहता है। जबकि अवैध निर्माण
होने पर सम्बंधित वार्ड प्रभारी की जवाबदेही तय की जाती है।
राजस्थान
पत्रिका ने इन अवैध इमारतें खड़े होने का सच जानने की कोशिश की तो यह तथ्य सामने
आया कि अवैध इमारतों को सीज करते समय इसकी जानकारी यूडीएच को देने का कोई प्रावधान
ही नहीं है। जबकि सीज खोलने के लिए यूडीएच से इजाजत लेनी होती है। इसके अलावा कई
सीज भवनों का रिकॉर्ड भी बाबुओं के रजिस्टर में दर्ज नहीं होता है।
ध्यान रहे कि शहर में आए दिन बहुमंजिला इमारतों पर सीज करने की
कार्रवाई की जा रही है। मई माह में अभी तक दो बार कार्रवाई की गई। वहीं 8 मई को
बागर चौक व जालम विलास हत्था में इमारत सीज की गई।
वहीं 13 मई को
प्रताप नगर रॉयल्टी नाके के पास स्थित शांतिनाथ नगर में आठ मंजिला इमारत सीज की गई,
लेकिन इन सीज इमारतों के बारे में सम्बंधित बाबू से रिकॉर्ड के बारे में जानकारी ली
गई तो उन्हें इस तरह की कोई कार्रवाई होने से ही मना किया। वहीं लोगों ने कई सीज
इमारतों में निर्माण चालू होने की जानकारी भी दी।
चस्पां नोटिस हटाया
जालम विलास हत्था में भी मल्टी स्टोरी इमारत पर निगम की ओर से सीज के
नाम पर चस्पां किया गया, नोटिस गायब मिला। यहां सीज के नाम पर कुछ नहीं है, न आसपास
वाला कोई पता लगा सकता है। इमारत वाला जब चाहे निर्माण कर सकता है।
बाहर
पर्दा, अंदर निर्माण
शहर के आखलिया चौराहे के पास भी एक अवैध इमारत का
निर्माण चलता मिला। जबकि यह भवन मुख्य रोड पर बन रहा है। भवन मालिक के पास निर्माण
की इजाजत नहीं होते हुए भी चोरी छिपे इमारत को खड़ा किया जा रहा है। भवन मालिक ने
इसके लिए एक पर्दा लटका रखा है, जिससे किसी को इमारत के निर्माण पर शक न हो।
नगर निगम में 8 मई व 13 मई को सीज हुए भवनों का रिकार्ड भी नहीं है।
भवन निर्माण अनुमति शाखा के बाबू साबिर खान से जब इस बारे में रिकार्ड मांगा गया तो
उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की।
चोरी छिपे चल रहा था निर्माण
निगम
अतिक्रमण प्रभारी जूनी बागर चौक में हाल ही सीज की गई इमारत पर स्थानीय लोगों ने
निर्माण करने की सूचना दी। यहां सीज होने के बाद भी भवन में चोरी छिपे निर्माण
कार्य चल रहा था। पत्रिका टीम ने इस बारे में अधिकारियों से जानकारी ली तो उन्होंने
मना किया। इसके बाद टीम मौके पर पहुंची तो यह तथ्य सामने आया कि निगम के अतिक्रमण
प्रभारी वहां पहले से ही मौजूद थे और काम बंद करवा चुके थे। जबकि काम बंद था तो
निगम के अतिक्रमण प्रभारी को वहां आने की जरूरत ही क्यों पड़ी ?
बल खाती
बात
भवन निर्माण अनुमति शाखा के सूरसागर जोन के बाबू अशोक व्यास से भी जब 13
मई को सूरसागर में हुई कार्रवाई के बारे में पूछा गया तो वे बोले कि उनके पास सीज
भवनों का कोई रिकॉर्ड नहीं है, इसके बारे में साबिर खान ही बता सकते हैं। जबकि
मामला उनके जोन का था।
ये बोले अधिकारी
नगर निगम एक्ट के
अनुसार अवैध बहुमंजिला इमारतें सीज करने का पॉवर सीईओ के पास है। वे ही इस बारे में
बता सकते हैं। -एन के गुप्ता, आयुक्त, सूरसागर
हाल ही में जो इमारतें सीज
की गई हैं। इनकी फाइल तैयार कर ली गई है और इस कार्रवाई की जानकारी की प्रतिलिपि
सीईओ और महापौर को दी जा चुकी है। सीज भवनों को नगर निगम स्तर पर नहीं खोला जा
सकता। यदि सीज इमारत में कोई निर्माण चल रहा है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
-विनयपालसिंह, सरदारपुरा आयुक्त
ये हैं प्रावधान
नगर निगम के
अनुसार अवैध इमारत एक बार सीज होने के बाद नगरीय विकास विभाग से अनुमोदन के बाद 6
माह के लिए खुलवाई जा सकती है। इस दौरान भवन मालिक सशर्त शपथ-पत्र और निर्माण की 25
प्रतिशत राशि बतौर बैंक गारंटी जमा करवाता है। यदि 6 माह बाद भी निर्माण को
नियमानुसार नहीं किया जाता है तो इमारत स्थाई रूप से सीज कर लिया जाता है। हकीकत यह
है कि आज तक कोई भी इमारत स्थाई रूप से सीज नहीं हुई है।
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