
Stylish and colorful lahariya craze in sawan
जोधपुर.सावन में सखियों की हंसी ठिठोली और हवा के संग लहराता लहरिया यानी खुशी से झूमता समां। शहर में हर तरफ सावन की उमंग, तरंग और उत्साह है। इस मौके पर जोधपुराइट्स सखियों का उत्साह देखते ही बनता है। सावन के महीने में ब्लूसिटी की लेडीज को सावन स्पेशल टे्रडिशनल लहरिया बहुत अच्छा पसंद आ रहा है। सावन ( savan ) आता है तो खुशियां ले कर आता है और हर तरफ उमंग छा जाती है। भीगा-भीगा मौसम सभी को अच्छा लगता है। ठंडी पुरवा हमें अच्छा लिबास पहनने के लिए प्रेरित करती है। इस लिहाज से यह रुत सखियों के लिए कुछ खास है। क्यों कि हरियाली से लबरेज इस मौसम में उन्हें भी अच्छे और ट्रेडिशनल लिबास पहनने का मौका मिलता है। लहंगा चुन्नी हो या साड़ी या फिर सदाबहार लहरिया, वे रंगबिरंगे परंपरागत लिबास पहन कर सावन ( sawan ) के साथ ताल से ताल मिलाती हैं।
मॉडल्स भी इससे अछूती नहीं
सावन की उमंग का आलम यह है कि जोधपुराइट्स ( jodhpurites ) गल्र्स भी लहरिया पहन रही हैं। ब्लूसिटी की मॉडल्स भी इससे अछूती नहीं रही हैं। उन्हें भी सावन स्पेशल टे्रडिशनल लहरिया ( sawan special traditional area ) बहुत अच्छा लग रहा है। सावन ( savan ) आता है तो खुशियां ले कर आता है और हर तरफ उमंग छा जाती है। भीगा-भीगा मौसम सभी को अच्छा लगता है। ठंडी पुरवा हमें अच्छा लिबास पहनने के लिए प्रेरित करती है। इस लिहाज से यह रुत सखियों के लिए कुछ खास है। क्यों कि हरियाली से लबरेज इस मौसम में उन्हें भी अच्छे और ट्रेडिशनल लिबास पहनने का मौका मिलता है।
पारंपरिक शैली
ब्लूसिटी की फैशन डिजाइनर टिवंकल जैन ने बताया कि हालांकि लहरिया राजस्थान में प्रचलित टाई एंड डाई की एक पारंपरिक शैली है, जिसके परिणामस्वरूप विशिष्ट पैटर्न के साथ चमकीले रंग का कपड़ा मिलता है। तकनीक को लहर के लिए राजस्थानी शब्द से अपना नाम मिलता है। क्योंकि रंगाई तकनीक का उपयोग अक्सर जटिल लहर पैटर्न का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। यह रंजक का असाधारण कौशल है जो एक साधारणसूती या रेशमी कपड़े पर जादू करता है। कपड़ा निर्माता एक विशेष विधि का उपयोग करता है जिसे प्रतिरोध-रंगाई के रूप में जाना जाता है।
हल्के रंग का लहरिया
उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में जो कपड़ा इस्तेमाल किया जाता है वह हल्के रंग का होता है, जो आमतौर पर कपास, रेशम, शिफॉन या जॉर्जेट में होता है। कपड़े को इस तरह से बांधा और मोड़ा जाता है कि जब रंगाई के बाद खोला जाता है तो कपड़े पर प्रत्येक वैकल्पिक पट्टी पर रंग के साथ एक धारीदार पैटर्न बनाया जाता है। परंपरागत रूप से, शिल्पकार कई रंगों में वांछित पैटर्न प्राप्त करने के लिए इसे 5 अलग-अलग रंगों में बांधते हैं। इसमें कुदरती रंगों का उपयोग किया गया है और नीले रंग के रंगों के लिए इंडिगो के साथ तालमेल रखा गया था, और अंतिम चरणों में लाल रंग के लिए अलीजरीन का साथ मिलने से यह और भी खूबसूरत हो जाता है। ब्लूसिटी मॉडल रिया परिहार और नेहा व्यास का कहना है कि सावन में लहरिया पहनने का अपना मजा है।
Published on:
23 Jul 2019 05:22 pm
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