
तीजणियों ने निभाई गवर पूजन स्थलों पर 'घुड़ला लाने की परम्परा
जोधपुर. मारवाड़ के प्रमुख लोकपर्व गणगौर पूजन के आठवें दिन रविवार को गवर पूजने वाली तीजणियों ने पूजन स्थलों पर 'घुड़लाÓ लाने की परम्परा का निर्वहन किया। आकर्षक पारम्परिक परिधानों और मां गौरी प्रतीक गवर और महादेव प्रतीक ईसर की झांकियों में मंगल गीत गाते हुए कुम्हार के घर घुड़ला लेने पहुंची तीजणियों में खासा उत्साह नजर आया। तीजणियां समूह के रूप में ढोल-थाली के साथ शहर के अलग क्षेत्रों में घुड़ला लाने की धार्मिक रस्म निभाई। हालांकि धार्मिक रस्म में अधिकांश तीजणियों ने कोविड-गाइड लाइन का पालन भी किया और लोगों से सामाजिक दूरी भी बनाए रखने की अपील करती नजर आई। एक पखवाड़े तक गौरी पूजन का अनुष्ठान करने वाली तीजणियों ने छिद्रयुक्त घुड़ले में आत्म दर्शन के प्रतीक दीप प्रज्ज्वलित करने के बाद गवर पूजन स्थल पर विराजित किया। पार्वती प्रतीक गौरी का व्रत रखने वाली तीजणियां गणगौरी तीज तक रोजाना गवर पूजन स्थलों पर मां गौरी से जुड़े मंगल गीत गाएगी। रामनवमी को घुड़ले का विसर्जन शहर के विभिन्न पवित्र जलाशयों में किया जाएगा।
शोभायात्रा के लिए लेने पहुंचे घुड़ला .़.
सिटी पुलिस फगड़ा घुड़ला कमेटी की ओर से शोभायात्रा के लिए घुड़ला लाने की परम्परा का निर्वहन किया गया। परकोटे के भीतरी शहर में हर साल शोभायात्रा के दौरान अंतिम छोर पर महिला वेश में पुरुष शीश पर घुड़ला लिए चलते है। कमेटी के सचिव रमेश गांधी ने बताया कि इस बार कोविड गाइडलाइन के कारण शोभायात्रा स्थगित रहेगी। घुड़ला पूजन के बाद रामनवमी को विसर्जित किया जाएगा।
दूसरे राज्यों से भी पहुंची तीजणियां
कमला नेहरू नगर द्वितीय विस्तार संकट मोचन बालाजी मंदिर में गवर पूजन के लिए विभिन्न राज्यों की तीजणियां भी शामिल होने जोधपुर पहुंची है। ग्रुप की भाग्य श्री सिंघल व बैंगलुरु से पहुंची रीना लोहिया ने बताया कि पूजन के आठवें दिन घुड़ला लाने के बाद पारम्परिक गीत प्रस्तुत किए गए
Published on:
04 Apr 2021 11:31 pm
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