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बदल गई ठाकुरजी की दिनचर्या, कार्तिक मास शुरू ,जानें कार्तिक मास का महत्व

लक्ष्मी-विष्णु आराधना के माह में होगा घरों में नियमित तुलसी पूजन

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बदल गई ठाकुरजी की दिनचर्या,   कार्तिक मास शुरू

बदल गई ठाकुरजी की दिनचर्या, कार्तिक मास शुरू

जोधपुर.भगवान विष्णु-लक्ष्मी की आराधना का विशेष माह कार्तिक सोमवार को घरों में तुलसी पूजा अर्चना के साथ शुरू हो गया। कार्तिक मास के स्वामी पद्मनाभ हैं। कार्तिक मास शुरू होने के साथ ही ठाकुरजी के मंदिरों में दिनचर्या बदल गई है। मंदिरों में मंगला आरती और शयन आरती में आंशिक बदलाव किया गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार कार्तिक मास में किया गया जप, तप, व्रत और दान ये अक्षय फल देते हैं। कार्तिक महीने में विष्णु के साथ लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए किए गए उपाय भी अक्षय फल देते हैं।

शीत ऋतु की शुरुआत

ज्योतिष अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक मास से शीत ऋतु का आरंभ माना जाता है। इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान और दीप दान करने की परंपरा है। इसकी शुरुआत शरद पूर्णिमा से होती है। इसी वजह से कार्तिक माह में देशभर की सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है। इन दिनों में खान-पान में बदलाव के साथ शरीर को ठंड से लड़ने की ताकत देने वाले पदार्थ का सेवन और शरीर को बाहरी ठंड से बचाव के लिए पहनावे में बदलाव ना करने पर सर्दी जुकाम जैसी मौसमी बीमारियां हो सकती है।

विष्णु लक्ष्मी का आराधना का माह

कार्तिक मास तुलसी पूजन के साथ विष्णु लक्ष्मी का आराधना का माह होता है। इस बार कार्तिक मास में दो ग्रहण होने से कई बदलाव भी नजर आएंगे। इसी माह दीपावली के तीसरे दिन से पूर्णिमा तक अन्नकूट महोत्सव भी मनाएं जाएंगे।

पं. ओमदत्त शंकर , जोधपुर

पृथ्वी पर लक्ष्मी का आगमन
आश्विन मास की पूर्णिमा लक्ष्मी के पृथ्वी पर आगमन की मानी गई है। इसे हम शरद पूर्णिमा कहते हैं। इसके अगले दिन से ही कार्तिक महीने की शुरुआत हो जाती है। ये ही वजह है कि कार्तिक मास को लक्ष्मी की आराधना का सबसे अच्छा समय माना गया है। इसलिए इस मास की अमावस्या पर लक्ष्मी जी की महापूजा की परंपरा बनी है। धर्म ग्रंथ कहते हैं कार्तिक मास में किया गया जप, तप, व्रत और दान ये अक्षय फल देते हैं। इनका पुण्य कभी खत्म नहीं होता है। इस महीने में विष्णु के साथ लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए किए गए उपाय भी अक्षय फल देते हैं।

कार्तिक मास में दान-पुण्य का महत्व

इस महीने से शीत ऋतु शुरू हो रही है। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को कंबल और ऊनी वस्त्रों का दान का महत्व है। त्योहारों का समय है तो जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, नए कपड़े, जूते-चप्पल का दान भी कर सकते हैं। इन दिनों में गायों की देखभाल के लिए भी दान करें।

नदी स्नान करने की है परंपरा
कार्तिक महीने में पवित्र नदियों में स्नान और दीप दान करने की परंपरा है। इसकी शुरुआत शरद पूर्णिमा से होती है। इसी वजह से कार्तिक माह में देशभर की सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी लोग पहुंचते हैं। स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। स्नान घाट पर ही जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करें।

जप और ध्यान के लिए कार्तिक मास

जिन लोगों का मन अशांत रहता है, उन लोगों को कार्तिक मास में जप और ध्यान जरूर करना चाहिए। ये समय जप और ध्यान के लिए वरदान की तरह है। इन दिनों में मौसम ऐसा रहता है, जिससे मन जल्दी एकाग्र हो जाता है और जप-ध्यान करने से अशांति दूर हो जाती है। ध्यान करने के लिए किसी शांत और पवित्र स्थान का चयन करना चाहिए।

खान-पान पर ध्यान जरूरी
इन दिनों में खान-पान में ऐसी चीजें शामिल करें, जो शरीर को ठंड से लड़ने की ताकत देती है। गर्म केसर वाला दूध पीएं। मौसमी फल खाएं। साथ ही, इस महीने में पहनावे पर ध्यान देना चाहिए। ऐसे कपड़े पहनें, जिनसे शरीर पर बाहरी ठंड का जरूरत से अधिक असर न हो, वर्ना सर्दी-जुकाम जैसी मौसमी बीमारी हो सकती है।