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लांबा का प्राचीन शिव मंदिर गिरने की कगार पर

भावी. 9वीं शताब्दी की शिल्प कला का बेजोड़ नमूना लांबा गांव का शिव मंदिर देखरेख के अभाव में गिरने की कगार पर है।

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The ancient Shiva Temple of Lamba is on the verge of falling

लांबा का प्राचीन शिव मंदिर गिरने की कगार पर

भावी (जोधपुर). 9वीं शताब्दी की शिल्प कला का बेजोड़ नमूना लांबा गांव का शिव मंदिर देखरेख के अभाव में गिरने की कगार पर है। पुरातत्व विभाग की अनदेखी से खंडहर तो होने लगा है, अब माकूल इंतजाम नहीं किए गए तो आशंका है कि तेज आंधी या तूफान इसे ढहाकर मलबे में न तब्दील कर दे।

बिलाड़ा तहसील के लाम्बा गांव के बीचो-बीच स्थित चौकीदारों के मौहल्ले में खसरा नम्बर 1529 पर बना है यह प्राचीन शिव मंदिर (लालदेवरा)। मंदिर निर्माण में काम लिए पत्थरों पर कारीगरों द्वारा बारीक खुदाई कर बड़ी ही मेहनत से मूर्तियां उकेरी गई थी, यह बेजोड़ कला देखने पर साफ झलकती है।


इस कला को देखने कई लोग आते रहे है। अब यह आलम है कि उपेक्षा व मरम्मत के अभाव में इसके छज्जे व गुबंज गिर रहे है। अच्छी कलात्मक मूर्तियां लगभग गायब हो चुकी है। जो थोड़ी बहुत बची है उनकी सुरक्षा की भी कोई माकूल व्यवस्था नहीं है। ध्यान नहीं दिया गया तो या तो ये गायब या मलबे में तब्दील हो जाएगी।

इसके पुरामहत्व को देखते हुए राजस्थान सरकार के कला एंव संस्कृति विभाग ने 10 जून 2008 को राजस्थान राजपत्र विशेषांक में अधिसूचना जारी कर इस मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित कर यहां एक चेतावनी बोर्ड लगाकर खानापूर्ति अवश्य कर दी थी। मगर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए।

जनसुनवाई के दौरान लाम्बा के ग्रामीणों व सरपंच ने राजनेताओं, स्थानीय उपखण्ड क्षेत्र के अधिकारियों व जिला कलक्टर सहित कई अधिकारियों को लिखित व मौखिक रूप से अवगत करवाया। बावजूद इसके कोई नतीजा कुछ नहीं निकला और यह मंदिर दुर्दशा का शिकार होता चला गया।

शिव मंदिर अब पूर्ण रूप से जर्जर हो चुका है जिससे यहां आसपास रहने वाले चौकीदार व मेघवाल समाज के लोगों को मंदिर के गिरने से होनेवाले हादसे की आशंका बनी रहती है। ग्रामीणों को कहना है कि तेज बारिश या आंधी आई तो यह मंदिर गिर सकता है।


इनका कहना है

मंदिर के जीर्णोद्वार को लेकर स्थानीय प्रशासन व पुरातत्व विभाग को कई बार लिखित एंव मौखिक रूप से अवगत करवाने के बावजूद मंदिर का जीर्णोद्वार उलझ गया है इसके चलते मंदिर पूर्ण रूप से जीर्ण-शीर्ण हो चुका है अब यह गिरने की कगार पर है। फिर भी इस मंदिर की सुध नहीं लेना चिंताजनक है।

-भूटाराम चौकीदार, सरंपच, लाम्बा

मंदिर के बारे में कई बार प्रशासन एंव विभाग को अवगत करवा देने के बाद भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। अगर मंदिर ढ़ह गया तो आसपास गरीब बस्ती है जिनको काफी नुकसान होगा जिसका खामियाजा प्रशासन एंव पुरातत्व विभाग को
भुगतना पड़ सकता है।
- शिवराम विश्रोई, मण्डल सदस्य, लांबा