
राज्य के मूल निवासी को ही आरक्षण का लाभ
जोधपुर.
राजस्थान हाईकोर्ट (rajasthan highcourt) ने नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती (Nurse Grade II Recruitment
) में अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए आरक्षित पदों को लेकर महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है।
कोर्ट ने कहा कि भर्ती विज्ञापन की शर्त की पालना में दूसरे राज्य की मूल निवासी अनुसूचित जाति की अभ्यर्थी, जो राजस्थान में भी अनुसूचित जाति वर्ग में अधिसूचित होने के साथ लंबे समय से निवासरत हो, भर्ती के लिए पात्रता नहीं रख सकती।
मुख्य न्यायाधीश एस.रविंद्र भट्ट और न्यायाधीश दिनेश मेहता की खंडपीठ ने इसके साथ ही एकल पीठ को चुनौती देने वाली सरकार की तीनों अपीलें स्वीकार कर ली।
खंडपीठ ने अपने आदेश में एक प्रकरण का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रतिवादी-अपील ने नर्स ग्रेड द्वितीय के लिए अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित वर्ग में आवेदन किया था।
अभ्यर्थी मूल रूप से जाटव समुदाय से है, जो उत्तरप्रदेश और राजस्थान में ही एससी वर्ग में है। अभ्यर्थी के पिता दो दशक पहले माइग्रेट होकर राजस्थान आए थे। वर्ष 2002 में जोधपुर तहसीलदार ने अभ्यर्थी को एससी का प्रमाण पत्र भी जारी किया, जिसके आधार पर उसने भर्ती में भाग लिया था, लेकिन पात्र होने के बावजूद उसे नियुक्ति नहीं दी गई।
एकलपीठ ने अभ्यर्थी को नियुक्ति देने के आदेश दिए थे, जिसके खिलाफ अपीलें पेश की गई थी। खंडपीठ ने पाया कि भर्ती विज्ञापन में स्पष्ट उल्लेखित था कि एससी-एसटी तथा ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित पदों के लिए अभ्यर्थी का राजस्थान मूल का नागरिक होना अनिवार्य है।
प्रश्नगत प्रकरणों में अभ्यर्थी अनुसचित जाति वर्ग के तो थे, लेकिन मूल रूप से राज्य के बाहर से संबंध रखते थे। कोर्ट ने इस आधार पर उनका दावा खारिज कर दिया। राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता करणसिंह राजपुरोहित तथा सहयोगी रजत अरोड़ा ने पैरवी की।
Published on:
17 Aug 2019 09:45 pm
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