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रोबोट ने शरीर में 7 डिग्री घूमकर निकाला ट्यूमर

- राज्य में पहली बार एक दिन में तीन मरीजों की रोबोटिक सर्जरी

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The robot took 7 degrees of rotation in the body of the tumor

- एम्स में रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम की सेवाएं यूरोलॉजी विभाग के मरीजों के लिए चालू

बासनी (जोधपुर). अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में राज्य के पहले रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम की सेवाएं मरीजों के लिए चालू हो गई है।

यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सकों ने एम्स ओटी में मंगलवार को एक ही दिन में तीन मरीजों की रोबोटिक सर्जरी कर इसका पहला फीडबैक तैयार किया है। इसमें उन्होंने इसे दूरबीन सर्जरी से ज्यादा एडवांस और स्पष्ट बताया है। जिसमें समय की बचत और कम ब्लड लोस जैसे फायदे सामने आए हैं। ये तकनीक अब और ज्यादा एडवांस होकर विकसित होगी। फिलहाल मरीजों से इसका चार्ज नहीं लिया जाएगा। हालांकि निकट भविष्य में सरकारी नियमों के मुताबित नॉमिनल चार्ज निर्धारित किया जाएगा। शाम 7 बजे तक दो महिलाएं और एक पुरूष की सर्जरी की गई।

3 डी वर्जन, 7 डिग्री तक घूमाव

रोबोटिक सर्जरी में रोबोट का हाथ मरीज के शरीर में सर्जिकल साइट में 7 डिग्री तक घूमता है। लेप्रोस्कोपी में 3-4 डिग्री तक ही घूमता है। सर्जरी के बाद मरीज के शरीर के टांके लगाना आसाना होता है। इसमें रोबोट से 3 डी वर्जन से सर्जन के लिए मरीज के शरीर में सर्जरी वाले हिस्से की बारीकियों को देखना आसान हुआ। जिससे साइट पर सर्जरी करना आसान होता है। इससे सर्जरी में समय कम लगा और रक्तस्त्राव कम हुआ। सर्जन को कंसोल प्रणाली के जरिए सर्जरी करना पहले से काफी आसान हुआ।

केस -1, पाइलोपलास्टी
पीयूजे-ओ नाम की बीमारी से पीडि़त मरीज के किडनी के पास पेशाब की नली (यूरेनरी ट्यूब) में ब्लॉक था। इसकी पाइलो प्लास्टी सर्जरी कर इस ब्लॉक को ठीक किया गया। इस सर्जरी में 1 घंटा 40 मिनट लगे। लेप्रो या सामान्य सर्जरी तकनीम से इसमें 2 घंटे से भी ज्यादा समय लग जाता है।

केस-2, वीवीएफ रिपेयर
दूसरी सर्जरी में रिजाइको वेजाइनल पिस्टुला नाम की बीमारी से पीडि़त मरीज की पेशाब की थैली और वेजाइना के बीच छेद हो गया था। उन दोनों को वीवीएस सर्जरी कर ठीक किया गया। इसमें 1 घंटा और 20 मिनट लगे। सामान्य तौर पर इसमें समय रोबोट से दुगूना लग जाता है।

केस-3, राइट रेडिकल नेफ्रोक्टमी
तीसरी सर्जरी में मरीज की किडनी का कैंसर था। मरीज की किडनी में ट्यूमर को रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम से निकाला गया। यूरोलॉजी विभाग में इस तरह के केस बिना रोबोटिक के पहले भी किए हैं। इसमें एक घंटा 15 मिनट का समय लगा। इसमें भी काफी समय बचा।

ये थे टीम में शामिल

यूरोलॉजी विभाग के डॉ. गौतम चौधरी ने बताया कि एम्स में पहली रोबोटिक सर्जरी करने में एम्स निदेशक डॉ. संजीव मिश्रा, डॉ. हिमांशु पांडेय, डॉ. सुरेश गोयल, एनेस्थेसिया के डॉ. पीके भाटिया, डॉ. मनोज कमल, डॉ. रविन्द्र पीजीआई चंडीगढ के डॉ. रवि मोहन टीम थी। वहीं नर्सिंग स्टाफ में एएनएस नटवर पाटीदार, ओटी इंचार्ज संतोष कोरी, सोमनारायण, प्रवीण मेहता, लोकेंद्र सिंह, नवीन, दिलीप, चतुर्भूज शामिल रहे।


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