न्यायाधीश आर.भानूमति की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने राजस्थान राज्य बनाम पोपटलाल और अन्य प्रकरणों में राज्य सरकार की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिकाओं को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि जो अभ्यर्थी 5 सितंबर, 2018 को आयोजित शारीरिक दक्षता परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाए थे और जिन्होंने अब तक हाईकोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया, उन पर अब हाईकोर्ट को विचार नहीं करना चाहिए। अप्रार्थी की ओर से अधिवक्ता श्रेयांश मरडिया ने कहा कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने विधि सम्मत आदेश पारित किया है।
दरअसल, पोपटलाल एवं अन्य चार अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस दलील के साथ शारीरिक दक्षता परीक्षा में दुबारा भाग लेने का मौका दिया था कि उन्हें इसकी सूचना अचानक दी गई और उन्हें लंबी यात्रा तय करते हुए शारीरिक दक्षता साबित करने के लिए पहुंचना पड़ा। इससे उनके प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ा। राज्य सरकार ने इन चारों आदेशों के खिलाफ एसएलपी दायर की थी, जबकि दुबारा मौका मिलने पर चारों अभ्यर्भी उत्तीर्ण हो गए। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की एसएलपी खारिज कर दी। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने कहा कि हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद कई नई याचिकाएं दायर हो चुकी हैं। इनमें से कई याचिकाओं की अपीलें भी खंडपीठ में विचाराधीन हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस आदेश का हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं में उल्लेख नहीं किया जाए। साथ ही इन मामलों में 11 दिसंबर के बाद कोई याचिका विचारार्थ स्वीकार नहीं करने को भी कहा गया है।