19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Ganpati Visarjan 2022: मंगल मूर्तियों के विसर्जन की तैयारी , एक मीटर से अधिक लंबी गणपति प्रतिमा विसर्जन पर रहेगी रोक

गुलाब सागर में करीब चार हजार मूर्तियों के विसर्जन की तैयारी तैनात रहेंगे तैराक, 70 सदस्यीय टीम पाटानाव पर करेगी केवल इॅको फ्रेण्डली प्रतिमाओं का विसर्जन

less than 1 minute read
Google source verification
Ganpati Visarjan 2022:  मंगल मूर्तियों के विसर्जन की तैयारी , एक मीटर से अधिक लंबी गणपति प्रतिमा विसर्जन पर रहेगी रोक

चौपासनी हाउसिंग बोर्ड स्थित 11 सेक्टर फ़ोटो मनोज सैन

जोधपुर. भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी 9 सितम्बर को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाई जाएगी। गणेश चतुर्थी 31 अगस्त से आयोजित दस दिवसीय गणपति महोत्सव का समापन प्रतिमाओं के विसर्जन से किया जाएगा । घरों एवं शहर में जगह जगह स्थापित गणेश प्रतिमाओं का विभिन्न पवित्र सरोवरों में विसर्जन होगा । रातानाडा गणेश मंदिर सहित सभी प्रमुख मंदिरों में गणेश प्रतिमाओं का पंचामृत अभिषेक किया जाएगा । शिवसेना की ओर संचालित गणेश चतुर्थी महोत्सव समिति के संयोजक पप्सापुरी ने बताया कि गणेश विसर्जन के लिए जालोरी गेट पहुंचने वाले सभी गणेश मंडप प्रमुखों का स्वागत किया जाएगा । जालोरीगेट से शाम को मुख्य शोभायात्रा प्रारम्भ होकर सिरे बाजार होते हुए गुलाब सागर पहुंचेगी ।

सुबह 8 बजे से रात्रि 10 बजे तक होगा विसर्जन

गुलाबसागर पर आर्य मरूधर व्यायामशाला के युवाओं की टोली वरिष्ठ दलपति सूर्य बहादुर सिंह के नेतृत्व में गणपति प्रतिमाओं के विसर्जन में सहयोग प्रदान करेगी। प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान गोताखोरों की टीम एवं तैराक भी तैनात रहेंगे । व्यायामशाला की ओर से पाटा नाव तैयार की जा रही है। सूर्यबहादुर ने बताया कि व्यायामशाला के 70 से 100 युवक इॅको फ्रेण्डली गणपति प्रतिमाओं के विसर्जन में सहयोग करेंगे। इसके लिए 16 लकड़ी के पाट और 12 टंकी की मदद से प्लेटफार्मनुमा पाटा नांव तैयार की जाएगी। गुलाब सागर के मुख्य घाट पर गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन 9 सितम्बर को सुबह 8 बजे से रात्रि 10 बजे तक किया जाएगा। इस बार घरों व मोहल्लों में विराजित मूर्तियों की संख्या 3 से 4 हजार होने की उम्मीद है। जिला व पुलिस प्रशासन के साथ बैठक में तय किया गया कि एक मीटर से अधिक लंबी प्रतिमा विसर्जन नहीं की जाएगी। जिन स्थानों पर धातु की प्रतिमाएं स्थापित की गई थी उनका जलाशय में केवल अभिषेक किया जाएगा ।