
KAVACH---RAJASTHAN में बिना ''कवच'' चल रही ट्रेनें
जोधपुर।
हाल ही में ओडिसा के बालासोर में भीषण रेल हादसे के बाद देश में ट्रेनों के सुरक्षित संचालन को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे है। दरअसल, ट्रेनों के आपस में टकराने व मानवीय भूलों से होने वाले रेल हादसों पर रोक के लिए रेलवे की ओर से आधुनिक कवच प्रणाली विकसित की गई, लेकिन यह प्रणाली कहीं नजर नहीं आ रही है। उत्तर पश्चिम रेलवे में इस आधुनकि कवच प्रणाली से एक भी ट्रेन का संचालन नहीं हो रहा है। इससे यात्रियों की सुरक्षा व संरक्षा के लिए नई अत्याधुनिक तकनीकों के दावे भी खोखले साबित हो रहे है।उल्लेखनीय है कि रेल मंत्रालय के अंतर्गत रिसर्च डिजाइन एण्ड स्टैण्डर्स ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) ने वर्ष 2012 में ट्रेन कलिशन अवॉइडेंस सिस्टम (टीसीएएस) स्वदेशी बचाव प्रणाली विकसित की गई, जिसे ''कवच'' नाम दिया गया । हकीकत तो यह है कि देश में करीब 1 लाख किमी रेलपथ में से अब तक केवल 1400 किमी रेल पथ पर ही कवच प्रणाली लगाई गई है।
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जोन में 450 से अधिक ट्रेनों का संचालन
उत्तर पश्चिम रेलवे में पूरे राजस्थान के अलावा पंजाब, हरियाणा व गुजरात के कुछ स्थान शामिल है। उत्तर पश्चिम रेलवे जोन जयपुर, जोधपुर, बीकानेर व अजमेर मण्डल के करीब 575 से ज्यादा स्टेशनों में बंटा हुआ है। पूरे जोन में करीब 450 ट्रेनों का संचालन हो रहा है।
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ऐसे काम करता है ''कवच''
- यह प्रणाली सैटेलाइट से रेडियो कम्युनिकेशन के माध्यम से लोकोमोटिव व स्टेशनों पर आपस में संबंध स्थापित करती है। इससे लोको पायलट को ट्रेन संचालन के दौरान जहां आगे आने वाले सिग्नलों की स्थिति के साथ लाइन पर रुकावटरोधक का पता भी चल जाएगा। साथ ही इस प्रणाली से सिग्नल की लोकेशन व आने वाले सिग्नल की दूरी का भी पता चल जाएगा।
- किसी लाइन पर अन्य ट्रेन के आने या खड़ी रहने आदि अवरोध का पता लगते ही यह प्रणाली एक्टिव होकर लोको पायलट को सचेत कर देगी व निश्चित अवधि पर स्वत: ही गाड़ी में ब्रेक लगा देगी, इससे अनहोनी घटना को रोका जा सकेगा।
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कवच के सर्वे का टेण्डर हो रहा है। दक्षिण मध्य रेलवे में इसका ट्रायल चल रहा है। ट्रायल के सफल होने पर उत्तर पश्चिम रेलवे जोन में लागू किया जाएगा।
कैप्टन शशि किरण, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी
उत्तर पश्चिम रेलवे, जयपुर
Published on:
12 Jun 2023 06:16 pm
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