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आसाराम यौन दुराचार मामला: बचाव पक्ष ने कहा, दस्तावेज में लड़की बालिग है, पॉक्सो एक्ट लगाना अनुचित

आसाराम मामले में आज भी जारी रहेगी अंतिम बहस  

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asaram rape case

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नाबालिग छात्रा से यौन दुराचार के आरोपी आसाराम के मामले में चार वर्ष से अधिक समय से जोधपुर की एक अदालत में चल रहे मामले की अंतिम बहस में बचाव पक्ष की ओर से दलीलें जारी हैं। अनुसूचित जाति जनजाति के विशिष्ट न्यायालय के न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा की अदालत में आसाराम के अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने अंतिम बहस के दौरान सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय व राजस्थान उच्च न्यायलय के कई दृष्टांत देकर दलील दी कि जीवन बीमा सर्टिफकेट किसी भी व्यक्ति की उम्र से सम्बन्धित विवाद में पर्याप्त कानूनी मजबूत सुबूत है। अधिवक्ता सुराणा ने कहा कि तथाकथित पीडि़ता की माता की ओर से पूर्व में करवाए गए लड़की के जीवन बीमा बांड में जन्म दिनांक एक जुलाई 1994 दर्ज है। इस लिहाज से तथाकथित घटना के दिन 15 अगस्त 2013 को लड़की की उम्र बीस साल के करीब थी। ऐसे में आसाराम के खिलाफ लगाए गए पॉक्सो एक्ट का कोई वजूद नहीं रह जाता।

उन्होंने दलील दी कि उम्र के सम्बन्ध में विवाद होने पर लड़की के अभिभावक के भी बयान होने चाहिए, परंतु अभियोजन ने बयान नहीं करवाए। शैक्षणिक सर्टिफिकेट और अन्य दस्तावेज में आयु में फर्क हो तो भी सक्षम अधिकारी से जांच करवानी चाहिए। अभियोजन ने यह जांच भी नहीं करवाई। समय अभाव के कारण सोमवार को बहस पूरी नहीं हो पाई। मामले की मंगलवार को सुनवाई फिर से होगी।

देसी विदेशी समर्थक आए


आसाराम को देखने के लिए सोमवार को देसी के साथ ही विदेशी समर्थक भी नजर आ रहे थे। पुलिस ने समर्थकों को कोर्ट परिसर से बाहर निकाल दिया गया। कुछ ही देर में समर्थक वापस आ गए। अंतिम बहस के दौरान सरकार की ओर से नियुक्त विशिष्ट लोक अभियोजक पोकरराम विश्नोई और पीडि़ता की ओर से प्रमोदकुमार वर्मा उपस्थित थे। आसाराम के समर्थक उनकी हर सुनवाई पर कोर्ट पहुंचते हैं। पुलिस को कई बार डंडे फटकार कर तो कई बार कड़ी मशक्कत से इन्हें खदेडऩा पड़ता है। कई बार पुलिस इन्हें गाड़ी से शहर के बाहर भी छोड़ कर आई है।