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आखिर क्यों टूट गया इस अमन पसंद शहर के चंद लोगों का संयम.. मिठास के शहर में आई यह कैसी खटास….!

मारवाड़ लगातार झेल रहा आपराधिक गतिविधियों का दंश  

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comment on riots in Jodhpur

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मिठास के शहर में यह कैसी खटास। हर कोई यही सोच रहा होगा। सोचे भी क्यों नहीं। सूर्यनगरी का इतिहास पहले कभी ऐसा नहीं रहा। यहां के लोगों का व्यवहार और संयम की तो जमानेभर में मिसाल दी जाती है। ऐसे में क्या नौबत आ गई कि शहर को ऐसी घटना का साक्षी बनना पड़ा। आखिर क्यों टूट गया इस अमन पसंद शहर के चंद लोगों का संयम। मारवाड़ की सांस्कृतिक राजधानी पहले ही फायरिंग एवं कई आपराधिक घटनाओं का दंश झेल चुकी है। फिर ये तनाव-उपद्रव जैसे शब्द भी इसके साथ जुड़ गए।

सूरज की नगरी में यह घटना पूरे मारवाड़ के लोगों को कचोटने वाली है। उस शहर में चंद उत्पाती दिमाग के लोगों ने अमन को आघात पहुंचाने की कोशिश की, जहां सदियों से भाईचारा रग-रग में बसता है। आधुनिक जोधपुर के निर्माता महाराजा उम्मेदसिंह कहा करते थे- हिन्दू-मुस्लिम मेरी दो आंखें हैं। वह शहर जहां की मावे की कचौड़ी से ज्यादा मिठास लोगों के व्यवहार-बोली में है, वहां यह सब होना कहीं न कहीं सरकारी तंत्र को भी कठघरे में खड़ा करता है। सूरसागर का यही इलाका है, जो पुलिस-प्रशासन की नजरों में अति संवेदनशील है। जब पुलिस को पता था कि यह जगह अति संवेदनशील है, तो वहां पर्याप्त जाब्ता तैनात क्यों नहीं था? क्यों करीब आधा घंटे तक वहां उपद्रव चलता रहा। वाहन फंूक दिए गए और पुलिस नहीं पहुंची? प्रदेश के दूसरे बड़े शहर में ऐसी घटना हो गई और पुलिस वहां मकानों की खिड़कियों के टूटे कांच देखने पहुंची?

कानून की रखवाली का ढोंग करने वाली पुलिस पहले भी शहर की बिगड़ी कानून व्यवस्था को लेकर कोर्ट की फटकार खा चुकी है। शहर में जानलेवा फायरिंग और अन्य आपराधिक घटनाओं के कारण सूर्यनगरी दुनिया में खूब बदनाम हो चुकी है। अब पुलिस और उसके खुफिया तंत्र की नाकामी का यह दाग भी सूर्यनगरी के माथे पर लग चुका है। कोर्ट की बार-बार फटकार और दुनियाभर में बदनामी के बाद भी हैरत की बात है कि सरकार ने यहां के पुलिस तंत्र का पत्ता तक नहीं हिलाया। अब भी समय है कि सरकार और नौकरशाही में बैठे आला लोग कुछ करें, वरना कानून-व्यवस्था खिलौना बनकर रह जाएगी। हां, जोधपुर के लोगों के मिजाज को देखकर यह पक्का यकीन है कि शुक्रवार रात की इस घटना के बाद भी शहर के अमन पसंद उद्वेलित नहीं होंगे, क्योंकि यह घटना किसी समुदाय की नहीं, बल्कि महज छिछोर बुद्धि की हरकत भर है।


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