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कोरोना का खतरा: हाईकोर्ट की दोनों पीठ में अदालती कार्यवाही को लेकर मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद होगा फैसला

राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासन ने नोवल कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए अधीनस्थ अदालत परिसरों में एहतियात एवं बचाव के उपाय सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिन्हें तत्काल प्रभाव से लागू करने को कहा गया है।

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video conference hearing in rajasthan high court coronavirus outbreak

कोरोना का खतरा: हाईकोर्ट की दोनों पीठ में अदालती कार्यवाही को लेकर मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद होगा फैसला

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासन ने नोवल कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए अधीनस्थ अदालत परिसरों में एहतियात एवं बचाव के उपाय सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिन्हें तत्काल प्रभाव से लागू करने को कहा गया है। राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्यपीठ तथा जयपुर पीठ में एहतियाती उपायों पर विचार करने के लिए 17 मार्च को वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद आवश्यक निर्देश जारी किए जाएंगे।

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रजिस्ट्रार जनरल की ओर से जारी परिपत्र के अनुसार अधीनस्थ अदालतों में जहां तक संभव हो, ज्यादा भीड़भाड़ की उपेक्षा करने को कहा गया है। अदालत परिसर में लोगों को इक_ा करने वाले किसी आयोजन या कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जाएगी। अधीनस्थ अदालतों को निर्देश दिए गए हैं कि जब तक अनिवार्य और आवश्यक नहीं हो, पक्षकारों की उपस्थिति सुनिश्चित करने पर जोर देने से बचा जाए। आरोपी,शिकायकर्ता, गवाह तथा पक्षकारों की व्यक्तिगत उपस्थित से छूट के प्रार्थना पत्र पर सम्यक विचार किया जाए और गैरहाजिरी पर विपरीत आदेश पारित करने से बचा जाए।

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जहां तक संभव हो, बंदियों का रिमांड आदेश वीडियो कांफ्रेंसिंग से ही देने को कहा गया है और लॉकअप में ज्यादा भीड़ से बचने के निर्देश दिए गए हैं। इसी तरह हाईकोर्ट की दोनों पीठ में बचाव के लिए 17 मार्च को सुबह 9.45 बजे मुख्य न्यायाधीश, सभी न्यायाधीश, महाधिवक्ता, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तथा बार संघों के प्रतिनिधियों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक आहूत की गई है, जिसमें नोवल कोराना वायरस के खतरे के मद्देनजर अदालत की कार्यवाही के संचालन के संबंध में आवश्यक निर्देशों पर विचार होगा।

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अधीनस्थ अदालतों के लिए महत्वपूर्ण आदेश
- मीडिएशन कार्यवाही केवल अत्यावश्यक मामलों में ही करने के निर्देश
- सभी अधिवक्ताओं से अनुरोध किया गया है कि वे अपने मुवक्किलों को अनिवार्य और आवश्यक नहीं होने पर कोर्ट परिसर में नहीं आने की सलाह दें।
- सभी कोर्ट रूम, कार्यालय, टेबल-कुर्सी, रेलिंग तथा दरवाजों का दिन में कम से कम दो बार एक प्रतिशत हाइपोक्लोराइड से कीटाणुशोधन करने के निर्देश।
- सभी जिलों में राज्य सरकार की ओर से नियुक्ति नोडल अधिकारी से समन्वय स्थापित करते हुए अधीनस्थ अदालत परिसर में पैरा मेडिकल स्टाफ प्रतिनियुक्त करने को कहा, ताकि प्राथमिक जांच सुनिश्चित की जा सके और संदिग्ध मामला सामने आने पर तत्काल आवश्यक कदम उठाए जा सकें। सर्दी-जुखाम जैसे लक्षणों से पीडि़त कोर्ट स्टाफ को मेडिकल सलाह का अनुसरण करने का अनुदेश।