सुनवाई के दौरान बुधवार को पेश की गई पालना रिपोर्ट पर कोर्ट ने असंतोष जाहिर किया और पूछा कि सरकार कब तक अतिक्रमण को नियमित करती रहेगी। कब्जे हटाने के बजाय केवल उनका नियमितीकरण किया जा रहा है, जो कि हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना है। गोचर भूमि के आकड़े पेश करने के लिए कहा तो एएजी राजेश पंवार ने कहा कि सीएस ने सभी जिला कलक्टरों को निर्देश जारी कर ताजा आंकड़े भेजने को कहा है, इसलिए समय दिया जाए। इस पर खंडपीठ ने कहा कि नौ माह से केवल आदेश पारित करते जा रहे हैं और समय लेते रहे, लेकिन किसी की भी पालना रिपोर्ट पेश नहीं की। अब ऐसा नही चलेगा। अब मामले को हाईकोर्ट मॉनिटिर करेगा इसीलिए 14 अक्टूबर को अगली सुनवाई पर आकड़े पेश करे।
ग्रीन बेल्ट शिफ्ट नहीं किया जा सकता सुनवाई के दौरान
जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से खो नागोरियान मामले की जमीन को ग्रीनबेल्ट से परिवर्तित करने का रिकॉर्ड पेश किया गया। इसमें बताया गया कि जितनी जमीन ग्रीनबेल्ट से लेकर नियमित की गई, उतनी जमीन का ग्रीनबेल्ट किसी अन्य जगह पर शिफ्ट कर दिया गया। इस पर जहां न्यायमित्र एमएस सिंघवी व विनीत दवे ने आपत्ति प्रकट की। खंडपीठ ने भी आपत्ति को सही बताते हुए कहा कि वर्ष 2011 के मास्टरप्लान में चिन्हित की गई ग्रीनबेल्ट को वर्ष 2025 के मास्टरप्लान में शिफ्ट नहीं किया जा सकता। उन्होंने इस बारे में कोर्ट की नाराजगी जताते हुए कहा कि इस मामले में शामिल अधिकारियों को जवाब देना होगा।
जयपुर विकास प्राधिकरण में रिश्वत का दस करोड़ का टर्नओवर सुनवाई के दौरान एक अन्य याचिकाकर्ता जयपुर के एनजीओ लोक सम्पत्ति संरक्षण समिति के पीएन मैंदोला ने आरोप लगाया कि जयपुर विकास प्राधिकरण में 10 करोड़ की रिश्वत का टर्नओवर चल रहा है। उन्होंने प्रमुख शासन सचिव व कॉपरेटिव सचिव से जवाब तलब करने की मांग की। इस पर खंडपीठ ने सरकार से शिकायतकर्ता को लिंक देने के लिए निर्देश दिए, ताकि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत का स्टेटस ले सके।
पावटा सी रोड व नेहरू पार्क मामले में जवाब मांगा खंडपीठ ने अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को गोचर भूमि के सम्बन्धित नए आंकड़े पेश करने को कहा, वहीं
जोधपुर के पावटा सी रोड व नेहरू पार्क क्षेत्र में कोर्ट की रोक के बावजूद निर्माण जारी रखने, दुकानों में शटर लग जाने आदि सवालों के जवाब पेश करने को भी कहा।