scriptvideo : जस्टिस गुमानमल लोढा जहां भी रहे, अपने व्यक्तित्व की गहरी छाप छोड़ी : राज्यपाल | Video: Justice Lodha was deep impression personality : Governer | Patrika News
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video : जस्टिस गुमानमल लोढा जहां भी रहे, अपने व्यक्तित्व की गहरी छाप छोड़ी : राज्यपाल

जोधपुर. पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने कहा कि न्यायाधीश गुमानमल लोढा ने देश में बड़ा नाम कमाया, देश में जहां भी रहे अपने व्यक्तित्व की गहरी छाप छोड़ी।
 

जोधपुरJul 26, 2018 / 11:16 pm

M I Zahir

Justice Gumanmal lodha

Justice Gumanmal lodha

जोधपुर. पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने कहा कि न्यायाधीश गुमानमल लोढा ने देश में बड़ा नाम कमाया, देश में जहां भी रहे अपने व्यक्तित्व की गहरी छाप छोड़ी। वे गुरुवार को गौरवपथ पर पूर्व न्यायाधीश व पूर्व संासद गुमानमल लोढ़ा कीमूर्ति के अनावरण के बाद आयोजित समारोह में बजहां भी रहे अपने व्यक्तित्व की गहरी छाप छोड़ीतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जस्टिस लोढ़ा का राजस्थानी भाषा से हमेशा से ही लगाव रहा। उन्होंने राजस्थानी भाषा मान्यता के लिए समन्वित प्रयास की जरूरत बताई। केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत ने अपने मारवाड़ी में दिए उद्बोधन में कहा कि आज का दिन जस्टिस लोढा की मूर्ति को साक्षी मान कर देश के लिए समर्पित भाव से काम करने का संकल्प लेने का दिन है। उन्होंने छात्र संघ चुनाव के दौरान जस्टिस लोढा से मिलने के संस्मरण बताए। लोकायुक्त एस एस कोठारी ने कहा कि लोढा इतिहास पुरूष थे। महापौर घनश्याम ओझा, जस्टिस लोढा के पुत्र मंगल प्रभात लोढा, मंजू लोढा व नरपतमल लोढा ने जस्टिस लोढा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। समारोह में खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष जसवंतसिंह विश्नोई, मेघराज लोहिया, विधायक सूर्यकंाता व्यास, विधायक जोगाराम पटेल, कैलाश भंसाली, केशाराम, ज्ञानचंद पारख, उप मुख्य सचेतक मदन राठौड़, पूर्व संासद पुष्प जैन, निर्मल भंडारी, उप महापौर देवेन्द्र सालेचा, पूर्व मंत्री राजेन्द्र गहलोत, नारायणराम बेड़ा, प्रसन्नचंद मेहता, रणजीत जोशी, देवेन्द्र जोशी, अशोक संचेती, पवन मेहता, प्रकाश गुप्ता, लेखराज मेहता, नरेन्द्र सहित लोढ़ा परिवार के सदस्य व गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। समारोह की शुरुआत में हैण्डीक्राफ्ट उद्यमी निर्मल भण्डारी ने जस्टिस लोढ़ा की जीवनी पर प्रकाश डाला।
नामी न्यायविद और विलक्षण व्यक्तित्व के धनी

जस्टिस लोढ़ा एक नामी न्यायविद और विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे। वे अपने आप में एक संस्था थे। उन्होंने केवल एक पत्र को ही जनहित याचिका मान कर न्यायपालिका के इतिहास में एक मिसाल कायम की थी। यह उनकी न्यायिक सजगता का परिचायक था। अगर दूसरे शब्दों में कहें तो उन्होंने अपने न्यायाधीश कार्यकाल में अपरोक्ष रूप से सूचना के अधिकार को महत्व दिया था। यही वजह रही कि लोग यह सोचते थे कि अगर जस्टिस गुमानमल लोढ़ा को हाईकोर्ट में एक पत्र लिख दो और उन्हें न्याय मिल जाएगा।
शख्स एक रूप अनेक
वे सन १९२६ में नागौर जिले में पैदा हुए थे। उन्होंने जोधपुर के जसवंत कॉलेज से बीकॉम और एलएलबी डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था और १९४२ में उन्हें कैद कर लिया गया था। वह राजनीति में शामिल हो गए और १ ९ ६ ९ से १ ९ ७१ तक जनसंघ की राजस्थान राज्य इकाई के अध्यक्ष थे। वे राजस्थान विधान सभा के सदस्य और अध्यक्ष भी रहे। जस्टिस लोढ़ा १ ९७८ से १९८८ तक राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे। वे देश में मूक पशुओं और विशेषकर गायों के संरक्षण के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने भारत के पशु कल्याण बोर्ड और मवेशी पर राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष के रूप में विशिष्ट और उल्लेखनीय कार्य किया।
राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया जाता है

वे राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश और गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे। जस्टिस गुमानमल लोढ़ा लोकसभा के सदस्य भी रहे। उनके भाषणों में बौद्धिकता झलकती थी। वे पांच साल तक कैंसर से पीडि़त रहे और कालांतर २२ मार्च २००९ को उनकी अहमदाबाद में मृत्यु हो गई। उनके नाम पर न्यायमूर्ति गुमानमल लोढा मेमोरियल नेशनल अवार्ड के रूप में राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया जाता है।

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