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पाक विस्थापितों के मामले में गठित हुई स्टेट लेवल कमेटी, तुरंत मुहैया करानी होंगी ये सुविधाएं

राजस्थान हाईकोर्ट ने पाक विस्थापितों के मामले में स्टेट लेवल कमेटी गठित की है।  

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state level committee formed in Pak visthapit case

state level committee formed in Pak visthapit case

जोधपुर . पाक विस्थापितों के मामले में जस्टिस गोविंद माथुर की खंड पीठ ने महत्वपूर्ण निर्देश जारी करते हुए शुक्रवार को स्टेट लेवल कमेटी गठित की है। कमेटी रिटायर्ड हाइकोर्ट जज एच आर पंवार की अध्यक्षता में गठित की गई है। विस्थापितों के लिए ये काफी अच्छी खबर है।

हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायधीश एच आर पंवार, सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदूसिंह सोडा तथा एएजी कांतिलाल ठाकुर की तीन सदस्यीय प्रदेश स्तर की कमेटी गठित की गई है, जो पाकिस्तान से विस्थापित हिन्दू, सिख, ईसाई आदि अल्पसंख्यकों को शॉर्ट टर्म, लांग टर्म वीजा, नागरिकता आदि मामलों में सभी जिलों के अधिकारियों को इनपुट, सुझाव व निर्देश देगी। विस्थापितों की ओर से एसटी, एलटी व नागरिकता बाबत ऑन लाइन व ऑफ लाइन सभी आवेदन 60 दिन में निस्तारण करना होगा। इसके साथ ही विस्थापितों के शिविर में पानी, बिजली, प्राइमरी शिक्षा जैसी आधारभूत सुविधाएं तुरंत मुहैया करनी होगी।

हाईकोर्ट की अवमानना से बचने के लिए पाक विस्थापितों को नागरिकता

आपको बता दें कि पिछले शनिवार को जोधपुर जिला प्रशासन की ओर से मात्र तीन पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता दी गई। वह भी सिर्फ हाईकोर्ट के डंडे से बचने के लिए। सरकार की उदासीनता के चलते पाक हिन्दू विस्थापितों को नागरिकता मिलना तो दूर लंबी अवधि का वीजा (एलटीवी) भी नहीं मिल पा रहा है।


सरकार में आने से पहले भाजपा ने हिन्दू विस्थापतों को नागिरकता देने, लंबी अवधि का वीजा (एलटीवी) देने सहित अन्य सुविधाओं को देने का वायदा अपने इलेक्शन मेनिफेस्टो में किया था। सत्ता में आते ही सरकार यह वायदा भूल गई। सरकार ने नागरिकता संबंधी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए दो बार शिविर जरूर लगाए, लेकिन ये कागजी साबित हुए।







दो बार लग चुके हैं शिविर

नागरिकता संबंधी आवेदनों की कमियां पूरी करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के माध्यम से मार्च 2015 में जोधपुर में शिविर लगाया गया था। उस दौरान औपचारिकताएं पूरी कर जोधपुर में करीब 2500 विस्थापितों के आवेदन पत्र जमा किए गए। इसके बाद जून 2016 में पुन: जोधपुर में नागरिकता शिविर लगा। इसमें केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि और दिल्ली व राजस्थान के गृह विभाग के अन्य उच्चाधिकारी भी आए। आवेदनों की पुन: कमी पूर्ति ठीक कर नए आवेदन स्वीकार किए गए, लेकिन नागरिकता नहीं दी गई।

हाईकोर्ट के डंडे के बाद चेता प्रशासन


नागरिकता को लेकर सरकार और प्रशासन की भागदौड़ हाईकोर्ट के जवाब मांगने के बाद से नजर आ रही है। अगस्त के प्रथम सप्ताह में इंटेलीजेंसी द्वारा 9 लोगों को डिपोर्ट कर देने पर मामला कोर्ट में उठा था। उच्च न्यायालय ने अवकाश के दिन कोर्ट खुलवा मामले पर स्टे दिया और सरकार से जवाब मांगा। इसके बाद १६ अगस्त को सीमान्त लोक संगठन ने प्रदर्शन किया। अगले दिन हाईकोर्ट ने स्वप्रसंज्ञान लेते हुए नागरिकता, एलटीवी एवं अन्य सवालों का जवाब राज्य सरकार व संबंधित अधिकारियों से मांगा। हाईकोर्ट ने इसके लिए कमेटी भी बनाई। इसके बाद अधिकारियों ने एक्शन प्लान कोर्ट के सामने रखा, लेकिन इसमें कई त्रुटियां थी। हाईकोर्ट ने त्रुटियों को ठीक कर नागरिकता, एलटीवी संबंधी तमाम मुद्दों पर 18 सितम्बर को जवाब पेश करने को कहा। इसके चलते 16 सितम्बर को जिला प्रशासन ने तीन पाक हिन्दू विस्थापितों को नागरिकता देने की औपचारिकताएं पूरी की।

ध्यान देते तो तमाम मुद्दों के समाधान निकल आते

केंद्र सरकार ने जो नीति संबंधी दिशा-निर्देश दिए। उस पर राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ध्यान देता, तो नागरिकता सहित तमाम मुद्दों के समाधान निकल जाता। सरकार और संबंधित अधिकारियों ने केंद्र सरकार की नीतियों का पालन करने की बजाय रोड़े अटकाए। -हिन्दूसिंह सोढ़ा, अध्यक्ष, सीमान्त लोक संगठन