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सूरते हाल : आसमां से टपका पानी अब पहाडि़यों जाकर अटका , पढ़े पूरी खबर

जलमग्न सूरसागर-खरबूजा बावड़ी - जिला प्रशासन की ओर से 12 साल पहले बनी योजना भी हुई विफल , अब क्षेत्रवासी कर रहे स्थाई समाधान की मांग

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सूरते हाल  : आसमां से टपका पानी अब पहाडि़यों जाकर अटका , पढ़े पूरी खबर

सूरते हाल : आसमां से टपका पानी अब पहाडि़यों जाकर अटका , पढ़े पूरी खबर

जोधपुर. बारिश, सीवरेज एवं ड्रेनेज पानी से घिरे सूरसागर खरबूजा बावड़ी क्षेत्र का जलभराव अब पाइप लाइनों के माध्यम से पहाडि़यों व शून्य हो चुकी खानों में पहुंचने लगा है। वर्ष 2009 में भूजल से लबालब खरबूजा बावड़ी का पानी नागादड़ी में भेजने के लिए जेडीए की ओर से पाइप लाइन बिछाई गई थी। मण्डोर उद्यान में खरबूजा बावड़ी क्षेत्र के पानी से फव्वारें चलाने की योजना भी बनी थी।

तत्कालीन नगर सुधार न्यास ने वर्ष 2008 फरवरी में खरबूजा बावड़ी से मण्डोर स्थित नागादड़ी तक सात किमी तक आठ इंच की पाइप लाइन बिछाने के लिए 2.26 करोड़ रुपए की योजना स्वीकृत की थी । योजना के तहत रावटी जलाशय में संग्रहित जल को मंडोर नागादड़ी जलाशय में छोड़ा गया था। लेकिन कुछ ही महीनों में यह योजना विफल हो गई।

बारिश का पानी नहीं सिवरेज मूल समस्या

खरबूजा बावड़ी क्षेत्र में लंबे अर्से से चली आ रही समस्या के स्थाई समाधान के कारण ढूंढने के प्रति प्रशासन अब तक विफल रहा है। क्षेत्रवासी जलभराव का कारण केवल मात्र भारी वर्षा नहीं बल्कि चांदपोल छोर से विभिन्न क्षेत्र की सीवरेज लाइनों का पानी एक नाले के माध्यम से लाकर छोड़ा जाना है।

इसका विरोध भी क्षेत्र के लोगों कई बार किया परंतु प्रशासन स्थाई समाधान करने के बजाय गंदे पानी की निकासी पम्प से करना शुरू कर दिया गया जो समस्या के आगे ऊंट के मुंह में जीरा साबित रही। क्षेत्रवासी देवेन्द्र सांखला व सूरसागर रामद्वारा के रामस्नेही संतों ने बताया कि अब नासूर बन चुके आसपास के जलभराव को क्षेत्र की पहाडि़यों व शून्य हो चुके खनन क्षेत्र में डालने का प्रयास किया जा रहा है।

इससे चारों और प्रदूषण फैलने की संभावना बढ़ गई है।


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