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रिफायनरी की देरी से राज्य को हुए नुकसान का जिम्मेदार कौन

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पलटवार

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जोधपुर . पचपदरा रिफाइनरी को लेकर सियासत तेज हो गई है। एक ओर भाजपा इसका क्रेडिट लेना चाह रही है। वहीं कांग्रेस ने लगातार भाजपा पर सवाल किए हैँ। केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री र्ध ोन्द्र प्रधान के सवाल का जवाब देते हुए पूर्व मु यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर जारी करते हुए कहा है कि 'धर्मेन्द्र प्रधान जी चाय पर ही क्या, कभी भोजन पर आएंगे तो मुझे खुशी होगी, लेकिन रिफाइनरी को लेकर मेरे सवालों का जवाब तो दें और आम जनता को ये बताएं कि किस प्रकार कांग्रेस ने धोखा दिया। प्रदेश की तकदीर और तस्वीर बदलने वाली महत्वाकांक्षी रिफाइनरी परियोजना को वर्त ाान सरकार ने चार वर्ष तक लटकाए क्यों रखा। इसके जवाब का इंतजार है। सरकार इस परियोजना में राज्य की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत को लेकर बार-बार प्रदेशवासियों को भ्रमित करती रही कि जमीन हमारी, तेल हमारा और पानी भी हमारा फिर भी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी ही क्यों, अब मैं उनसे यही सवाल कर रहा हूं कि नए एमओयू में भी रिफाइनरी में हिस्सेदारी का प्रतिशत 26 प्रतिशत से ज्यादा क्यों नहीं बढ़ाया। रिफाइनरी में चार साल की देरी से राजस्थान के हजारों युवाओं को रोजगार से वंचित होना पड़ा तथा राजस्थान सरकार को राजस्व के रूप में भारी हानि हुई और साथ ही पेट्रो केमिकल कॉ पलेक्स से जुड़े हजारों सहयोगी लघु उद्योग तथा रोजगार सृजन में भी देरी हुई। इस नुकसान का जि मेदार कौन है?

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जोधपुर. पचपदरा रिफाइनरी को लेकर सियासत तेज हो गई है। एक ओर भाजपा इसका क्रेडिट लेना चाह रही है। वहीं कांग्रेस ने लगातार भाजपा पर सवाल किए हैँ। केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री र्ध ोन्द्र प्रधान के सवाल का जवाब देते हुए पूर्व मु यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर जारी करते हुए कहा है कि 'धर्मेन्द्र प्रधान जी चाय पर ही क्या, कभी भोजन पर आएंगे तो मुझे खुशी होगी, लेकिन रिफाइनरी को लेकर मेरे सवालों का जवाब तो दें और आम जनता को ये बताएं कि किस प्रकार कांग्रेस ने धोखा दिया। प्रदेश की तकदीर और तस्वीर बदलने वाली महत्वाकांक्षी रिफाइनरी परियोजना को वर्त ाान सरकार ने चार वर्ष तक लटकाए क्यों रखा। इसके जवाब का इंतजार है। सरकार इस परियोजना में राज्य की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत को लेकर बार-बार प्रदेशवासियों को भ्रमित करती रही कि जमीन हमारी, तेल हमारा और पानी भी हमारा फिर भी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी ही क्यों, अब मैं उनसे यही सवाल कर रहा हूं कि नए एमओयू में भी रिफाइनरी में हिस्सेदारी का प्रतिशत 26 प्रतिशत से ज्यादा क्यों नहीं बढ़ाया। रिफाइनरी में चार साल की देरी से राजस्थान के हजारों युवाओं को रोजगार से वंचित होना पड़ा तथा राजस्थान सरकार को राजस्व के रूप में भारी हानि हुई और साथ ही पेट्रो केमिकल कॉ पलेक्स से जुड़े हजारों सहयोगी लघु उद्योग तथा रोजगार सृजन में भी देरी हुई। इस नुकसान का जि मेदार कौन है?