
yard re modelling, jodhpur railway station
गर्मी के बीच बीते 25 दिनों के दौरान रेलवे के करीब 400 कर्मचारियों व अधिकारियों ने जोधपुर यार्ड री-मॉडलिंग और इलेक्ट्रोनिक इंटरलॉकिंग का कार्य पूरा कर लिया। अब जोधपुर स्टेशन के पांचों प्लेटफार्म से 24 कोच की ट्रेनों का इलेक्ट्रोनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के सुरक्षित संचालन किया जा सकेगा।
9 जून को पूरे हुए जोधपुर यार्ड री-मॉडलिंग व इलेक्ट्रोनिक इंटरलॉकिंग के कार्य बाद शुक्रवार को जोधपुर मण्डल रेल प्रबंधक राहुल कुमार गोयल ने संवाददाताओं को यह जानकारी दी।
इससे पूर्व डीआरएम गोयल व वरिष्ठ मण्डल परिचालन प्रबंधक मैत्रेयी चारण ने जोधपुर-भीलडी पैसेंजर ट्रेन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर वरिष्ठ मण्डल इंजीनियर (निर्माण) डीआर चौधरी, उप मुख्य संकेतक एवं दूरसंचार स्वपन रॉय, जन सम्पर्क अधिकारी गोपाल शर्मा समेत कई अधिकारी उपस्थित थे।
यह होगा फायदा
- जोधपुर रेलवे स्टेशन के सभी पांचों प्लेटफार्म से 24 कोच की ट्रेनों का संचालन किया जा सकेगा।
- दुर्घटना होने पर सिर्फ आधा घंटे में रवाना की जा सकेगी आपदा राहत ट्रेन
- ट्रेनों का संचालन ज्यादा सुरक्षा व कम समय में किया जा सकेगा।
- ट्रेनों में कोच संख्या 26 किए जाने पर एक नम्बर प्लेटफार्म से संचालन किया जा सकेगा।
- कम्प्यूटर आधारित सिग्नल प्रणाली से केवल एक क्लिक पर गाड़ी का रूट बनाया जा सकेगा।
सुरक्षित रहेगा एक माह का संचालन डाटा
रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम (आरआरआई) से ट्रेनों का संचालन सिर्फ बटन दबाने व माउस की क्लिक पर हो सकेगा। हर सिग्नल, रेलवे ट्रैक, ट्रेनों का आवागमन की जानकारी सिर्फ एक स्क्रीन पर दिखेगी, जहां से सभी व्यवस्थाएं सिर्फ बटन दबाने से नियंत्रित हो सकेंगी। इस कार्य के अन्तर्गत 29 टर्नआउट को हटाकर 32 नई टर्नआउट व करीब 4.50 किमी. नए ट्रैक का कार्य किया गया।
साथ ही यहां लगाए गए डाटा लॉगर में जोधपुर स्टेशन पर ट्रेन संचालन का एक माह का डाटा सुरक्षित रखा जा सकेगा। जरूरत पडऩे पर किसी भी दिन का संचालन रिकॉर्ड आसानी से उपलब्ध हो सकेगा।
टर्मिनल ही विकल्प
डीआरएम गोयल ने बताया कि जोधपुर स्टेशन पर उपलब्ध जमीन पर पूर्ण विकास कार्य किए जा चुके हैं। अब स्टेशन पर विकास व विस्तार करने के लिए अतिरिक्त जमीन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में भविष्य में सिर्फ टर्मिनल ही विकल्प है। हालांकि उन्होंने बताया कि भगत की कोठी स्टेशन करीब-करीब टर्मिनल के रूप में विकसित हो चुका है।
Published on:
11 Jun 2016 02:25 pm
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