
Bear Attack: भालू के हमले के हमले में पिता पुत्र की मौत हो गई, जबकि एक वनपाल तथा ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गए। जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह 10 बजे डोंगरकट्टा निवासी अज्जु कोरेटी (19) गांव से लगी पहाड़ी पर दातून तोड़ने गया था। इस पर भालू ने हमला कर दिया।
इसी दौरान पहाड़ी से होकर अपने खेत जा रहे सुखलाल दर्रो (45) ने अज्जू को भालू से बचाने प्रयास किया तो भालू ने उस पर हमला कर दिया। इससे सुखलाल की मौत हो गई। इसकी सूचना पर शव लेने पहुंचे पिता शंकर दर्रो (65) पर भी भालू ने हमला कर जान ले ली।
बताते हैं कि भालू के पहले हमले के बाद पुलिस बल को लेकर रेंजर मौके पर पहुंचे थे। भालू ने जब दोबारा इन पर भी हमला किया, तो सूचना पाकर डीएफओ आलोक बाजपेयी खुद मौके पर पहुंचे। पहाड़ी के रास्ते रेस्क्यू में तेंदुए के भी हमले का खतरा था। ऐसे में रायपुर से आई टीम को सुरक्षा के कड़े इंतजामों के साथ स्क्यू ऑपरेशन पर लगाया गया। देर रात जेसीबी की मदद से दोनों लाशें पहाड़ी से नीचे उतारी गईं।
जलिनकसा की पहाड़ियों पर लकड़ी लेने गए दो ग्रामीणों पर भालू ने हमला कर दिया। इनमें से एक ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। जबकि, दूसरा गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी किसी तरह जान बचाकर भागा। गांव पहुंचकर लोगों को सबकुछ बताया। मृतक के पिता पुलिस और वन अमले के साथ अपने बेटे की लाश लेने गए। भालू ने हमला कर उन्हें भी मौत की नींद सुला दिया। इस हमले में फॉरेस्ट गार्ड के साथ एक अन्य ग्रामीण के भी घायल होने की सूचना है।
इधर, सुकलाल के पिता पुलिस और वन विभाग की टीम के साथ अपने बेटे का पार्थिव शव लेने पहाड़ियों पर गए। यहां पहले से छिपकर बैठे भालू ने दोबारा हमला किया। बेटे की लाश लेने गए पिता शंकर भी इस हमले में मारे गए। एक फॉरेस्ट गार्ड नारायण यादव भी इस हमले में जमी हुआ है। भालू की आक्रमकता को गंभीरता से भांपते हुए टीम ने रेस्क्यू रोककर वापस लौटने का फैसला लिया।
Bear Attack: रेस्क्यू में बड़ी समस्या ये रही कि दोनों लाशों को पहाड़ियों से निकालते समय भालू फिर हमला कर टीम मेंबर्स को घायल कर सकता था। ऐसे में डीएफओ ने जेसीबी की मदद से दोनों लाशों को पहाड़ियों से नीचे उतरवाने का फैसला लिया।
वहीं भालू द्वारा दोबारा ग्रामीणों पर हमले की आशंका को भांपते हुए इसे भी कैद करने की तैयारी की गई है। इसके लिए पहाड़ी पर पिंजरे लगाए गए हैं। इनमें तेल, मुर्गियां रखी गई हैं। तेल इसलिए क्योंकि इसकी गंध से भालू आकर्षित होते हैं। इलाके में भालू आए दिन मुर्गियों को अपना शिकार बनाते हैं, इसलिए इन्हें भी पिंजरे में रखा गया है।
Published on:
19 Jan 2025 02:44 pm
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