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सरकारी डॉक्टरों ने खुद खोला पैथालॉजी लैब और झोलाछापों को बांटे लाइसेंस

निजी पैथालॉजी के लिए सरकारी डॉक्टर (Government doctor) खुलेआम कमीशन में लाइसेंस बांट रहे हैं।

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सरकारी डॉक्टरों ने खुद खोला पैथालॉजी लैब और झोलाछापों को बांटे लाइसेंस

कांकेर. निजी पैथालॉजी के लिए सरकारी डॉक्टर (Government doctor) खुलेआम कमीशन में लाइसेंस बांट रहे हैं। पत्रिका ने गुरुवार को पड़ताल किया तो डॉक्टर ने खुद स्वीकार किया कि सिर्फ वहीं नहीं बल्की अन्य सरकारी डाक्टर भी इसी तरह से अवैध पैथालॉजी (pathology) का संचालन करा रहे हैं।

चारामा-नरहरपुर में तीन-तीन और नगर में दर्जनभर से अधिक पैथालॉजी फर्जी संचालित है। इसी तरह से अंतगाढ़, भानुप्रतापपुर और पखांजूर में खुलेआम अयोग्य लैब संचालक परखनली से रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो इन पैथालॉजी में जांच के लिए पहुंचने वाले मरीजों से पहले बीमारी के बारे में पूछा जाता है, फिर उक्त डाक्टर से फोन पर रिपोर्ट कैसी तैयार करनी है पूछा जाता है, तब कहीं जाकर फर्जी जांच रिपोर्ट मिलती है। बताया जा रहा कि बीमारी कुछ और रिपोर्ट कुछ और दी जाती है। लोगों की सेहत को देखते हुए सावधान किया जा रहा है। अगर गलती से इन पैथालॉजी लैब से मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर इलाज कराए जो जान भी जा सकती है।

कुछ ऐसी रिपोर्ट हाथ लगी है। ब्लड गु्रप-ओ पॉजटिव को रिपोर्ट में ए-पॉजटिव दिखा दिया गया है। इसी तरह से गलत रिपोर्ट के आधार पर इलाज कराने पर कई लोगों की कीडनी फेल हो चुकी है। ऐसे पैथालॉजी संचालकों को अयोग्य कहा जाए या अनुभवहीन। फर्जी लैब की रिपोर्ट लोगों की जान ले सकती है। किसी बीमार से परेशान होकर शहर की पैथालॉजी सेेंटरों पर चेकअप कराने के लिए न जाएं। बता दें कि कुछ सरकारी डाक्टर भी कमीशनखोरी के इस खेल में आम जनता की जान ले रहे हैं। पड़ताल में २० से अधिक लोगों ने बताया कि झोलाछाप पैथालॉजी लैब से मिली जांच रिपोर्ट के आधार पर इलाज कराने से मौत के मुंह में जा चुके हैं। नगर के गायत्री पैथॉलाजी लैब तो डॉ. एसपी क्लॉडियस के मॉनिटरिंग में संचालित होना बताया जा रहा है।

पैथालॉजी से प्राप्त रसीद पर क्लॉडियस का नाम और योग्यता अंकित है। इसी तरह से राजा पैथालॉजी को डॉ. डीके कश्यप एमडी के निगरानी में चल रही है। जिला अस्पताल के सामने इस तरह की पैथालॉजी करीब 6 साल से संचालित हो रही हैं। स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की ओर से कार्रवाई नहीं होना कहीं न कहीं इस खेल में बराबर के भागीदार की ओर इशारा कर रहा है। छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम एक्ट में बिना डिग्री पैथालॉजी संचालन नहीं किया जा सकता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (chief Medical Officer) को ऐसे संचालकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी है। जबकि जिम्मेदार अधिकारी अभी तारिख पर तारिख का हवाला देकर टाल रहे हैं। पैथालॉजी के नाम पर मोटी रकम के वसूली के खेल में गरीबों के नसों से संचालक खून चूस रहे हैं। जबकि दो साल पहले हाईकोर्ट (High Court) के आदेश पर झोलाछापों की प्रैक्टिस और निजी पैथालॉजी बंद करने आदेश दिया था। वैसे सीएमएचओ बोल चुके हैं कि सभी पैथालॉजी फर्जी हैं। सभी के खिलाफ जल्द कार्रवाई की जाएगी, टीम का गठन किया जा रहा है।