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आधार कार्ड से दुखी है यह परिवार, जानिए इस बेबस मां और दिव्यांग बच्चों की कहानी

आधार कार्ड के बिना बेसहारा हुआ यह परिवार, विकलांग बेटा-बेटी का मां ऐसे कर रही पालन

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रेणु अवस्थी@जगदलपुर. अक्सर फिल्मों में संघर्ष भरी जिन्दगी देखने को मिलती है। ऐसी ही कहानी जगदलपुर शहर के इंदिरा वार्ड निवासी सरस्वती शर्मा की है। वहीं, आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि गरीबी की जिंदगी जी रही सरस्वती को जो सरकारी सुविधा मिलनी चाहिए वह भी आधार के कारण उसे नहीं मिल पा रही है।

बेटा व बेटी दोनों है दिव्यांग
सरस्वती शर्मा के तीन बच्चों में से दो बेटीं व एक बेटा है। इसमें बड़ी बेटी रौशनी (28) व छोटा बेटा मनोज (26) पूरी तरह से दिव्यांग हैं। मां सरस्वती घरेलू खाना बनाकर अपने सहित इन तीनों का पेट भरती है। इसमें दुखद पहलु यह है कि दोनों दिव्यांगों को किसी तरह की सरकारी सहायता नहीं मिल रही है। इसकी वजह है आधार कार्ड का नहीं बन पाना। विकलांगता के चलते इन्हें बार बार अस्पताल ले जाना पड़ता है। इसमें रौशनी को बिना आधार के न तो विकलांग पेंशन व मुफ्त चिकित्सा सुविधा नहीं मिल रही है।

किसी का भी सहारा नहीं
सरस्वती की दूसरी बेटी मनीषा ने बताया कि मां की हिम्मत के चलते हमारा गुजारा हो रहा है। वह अपने बूतेभाई बहनों का इलाज करवा रही है। सीमित आय में ही घर का किराया, बिजली बिल, दवाई व रोजाना की जरुरत का सामान खरीदते हैं।

दफ्तरों के चक्कर लगाने वाला कोई नहीं
मनीषा ने बताया कि वह अपने भाई बहन को एक मिनट के लिए भी अकेला नहीं छोड़ सकती है। ऐसे में वह अपने भाई बहनों के अधिकारों के लिए चक्कर कैसे लगाए। मां काम पर जाती है और वह घर में रह कर भाई बहन की देखरेख करती है। ऐसे में घर पर कोई है ही नहीं जो दफ्तरों के चक्कर लागाए और अपने अधिकार मांगे।

नहीं मिले डॉक्टर
सोमवार को विकलांग सर्टिफिकेट बनाने के लिए रौशनी को उसकी बहन के साथ लेकर गई थी। डॉक्टर न मिलने की वजह से काम अधूरा रहा गया। मैं आज शुक्रवार को वापस अस्पताल जाउंगी ताकि उनका विकलांग सर्टिफिकेट बन जाए। सरकारी योजनाओं का लाभ ले सके।
बीबी चंदा, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा नगर मंडल