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विजलेंस टीम के बिछाए जाल में फंसा घूसखोर लेखपाल, 20 हज़ार सेट की थी काम करने की कीमत

जब भ्रष्टाचार निवारण टीम ने एक लेखपाल को रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोच लिया।

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कन्नौज. राज्यमंत्री अर्चना पांडेय के क्षेत्र में एकाएक उस समय हलचल मच गयी, जब भ्रष्टाचार निवारण टीम ने एक लेखपाल को रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोच लिया। जैसे ही इसकी भनक साथियों को लगी तो सभी इकठ्ठे होने लगे लेकिन विजिलेंस टीम की जानकारी होने पर सभी वहां से खिसक लिए। लेखपाल की शिकायत होने के बाद भ्रष्टाचार निवारण संगठन टीम करीब एक पखवारे से अपनी कार्रवाई कर रही थी। टीम के सदस्य कई बार छिबरामऊ आए लेकिन किसी को इसकी भनक नहीं लगी। लेखपाल के खिलाफ 7/ 13 व (डी) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया है। रिश्वत लेते पकड़े गए लेखपाल के पास वर्तमान में प्रभारी कानूनगो का भी चार्ज है।

योगी सरकार में भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम नही ले रहा है। अधिकारी और कर्मचारी पीड़ितों के काम करने के बजाये उनसे खुलेआम रिश्वत की मांग करते हैं। ऐसे ही एक मामले की शिकायत जब मुख्यमन्त्री से की गयी तो उन्होंने इस मामले के संज्ञान में एन्टीकरप्शन टीम को लगाया। जिसके बाद मौके पर पहुंची एन्टीकरप्शन टीम ने लेखपाल को रिश्वत लेते रगें हांथ दबोच लिया।

मुख्यमंत्री के पास की गई थी शिकायत

मामला कन्नौज की छिबरामऊ तहसील क्षेत्र का हैं। जहाॅ एक तालिब खान नाम के व्यक्ति ने जमीन खरीदी थी जिसका दाखिल खारिज होकर उसके नाम जमीन भी चढ़ गयी। लेकिन जब वह मौके पर गया तो उसको कहीं उसकी जमीन नही मिली। आस-पास वालों ने उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया था। इस सम्बन्ध में उसने चीफ मिनिस्टर से शिकायत की। जिसके बाद एंटी करेप्शन टीम के संज्ञान में बात पहुंचाई गयी।

केमिकल लगे नोटों ने खोला भेद

मामले को अधिकारियों ने गंभीरता से लिया और इस पर जांच शुरू करवा दी। छापा मार कार्रवाई करने आए टीम के सदस्यों ने प्रक्रिया पूरी होने के बाद बताया कि वह लोग इस मामले में करीब एक पखवारे से पड़ताल कर रहे थे। इसमें 17 हजार रुपये लिए जाने की पुष्टि हुई। इसके बाद और गंभीरता से जांच की गई तो 20 हजार रुपये मांगे जाने की बात भी सामने आ गई। इस पर टीम ने अपना जाल बिछा दिया। केमिकल लगे नोट तालिब ने जैसे ही थमाए टीम ने आरोपी लेखपाल अवध नरायन पांडेय को मौके से ही दबोच लिया।

विरोध का साहस न जुटा सके साथी

टीम के द्वारा रिश्वत लेते लेखपाल के पकड़े जाने के मामले में अन्य साथी कोतवाली पहुंच गए। वहां कई घंटे तक लेखपालों की भीड़ लगी रही लेकिन मामला भ्रष्टाचार निवारण संगठन से जुड़ा होने की वजह से कोई विरोध करने का साहस नहीं जुटा पाया। देर रात लेखपाल के खिलाफ कार्रवाई की तहरीर देकर टीम वापस लौट गई।

तहसील परिसर में छाया सन्नाटा

तहसील परिसर में भ्रष्टाचार निवारण संगठन की छापेमारी हुई और लेखपाल पकड़े गए तो परिसर में हलचल मच गई। कार्यालय में मौजूद अन्य कर्मी धीरे-धीरे कर मौके खिसक गए। कोई भी इस प्रकरण में सामने नहीं आना चाह रहा था। सभी को अपनी चिंता सता रही थी। ऐसे में कुछ देर बाद ही तहसील परिसर में सन्नाटा छा गया।

ऐसे बिछाया गया जाल

विजिलेंस के पुलिस अधीक्षक श्री मिश्र द्वारा टीम को गठित कर इन्सपेक्टर राममोहन पाठक और इन्सपेक्टर सिकन्दर खाॅ व श्रीमती सिंह के साथ पूरे फोर्स को भेजा गया। पूरी टीम यहाॅ आई और दो सरकारी गवाहों के साथ जब पूरी टीम मौके पर पहुंची उसमें प्रापरी पाउडर और सब प्रक्रिया करके जब यह तालिब खान मिलने गया, तो वह पुरूष शौंचालय के पास बीस हजार रूपये लेने लगा। जैसे ही उसने रूपये लिये वैसे ही उसको रंगे हांथ मौके से पकड़ लिया गया और फिर लेखपाल के हाथों को धुलवाया गया तो उसके हांथो का रंग गुलाबी हो गया। उसको 7/ 13 व (डी) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है। जिसका मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया है।