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असफलता से सीख लेकर आगे बढ़ते गए तुषार और बन गए सिविल जज

- १७ साल तक बार-बार फेल होने के बाद भी नहीं मानी हार- परिवार और शिक्षकों का सपोर्ट मंजिल को करता गया आसान

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Civil Judge Tushar Jaiswal

असफलता से सीख लेकर आगे बढ़ते गए तुषार और बन गए सिविल जज

कानपुर। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती- कवि सोहन लाल द्विवेदी की ये कविता शहर के तुषार जायसवाल पर सटीक बैठती है। लगातार १७ साल तक बिना हार माने कोशिश करते हुए आखिरकार उन्होंने सफलता हासिल कर ली। वे कई वर्षों से सिविल सर्विसेज की तैयारी करते रहे और उनकी मेहनत रंग लाई। तुषार का चयन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की पीसीएस-जे २०१८ में हो गया और वे सिविल जज बन गए।

नाकामी से लेते रहे सीख
कानपुर के लाल बंगले के तुषार जायसवाल का संघर्ष प्रेरणा देता है। तुषार 17 साल से लगातार सिविल सर्विसेज के लिए मेहनत कर रहे थे। कई बार मेंस और इंटरव्यू तक पहुंचे भी लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी। तुषार ने हार नहीं मानी और मेहनत जारी रखी। हर बार मिलने वाली असफलता से उन्होंने सीख ली और सामने आने वाली कमी को सुधारा। जिसका नतीजा उन्हें अब मिला।

स्नातक के बाद कर रहे थे तैयारी
तुषार ने 1997 में जयपुरिया स्कूल से 10वीं और 1999 में 12वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद 2002 में पीपीएन कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की। तभी से सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गए। कई बार प्री क्वालीफाई करके मेंस और फिर इंटरव्यू में भी शामिल हुए लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

परिवार का साथ देता रहा हौसला
कई बार तुषार को निराशा तो हुई लेकिन परिवार ने हमेशा साथ दिया। उन्हीं हौसलों के बल पर वह निरंतर जुटे रहे। 2012 में डीसी लॉ कॉलेज के शिक्षक अनिल भट्ट ने तुषार को लॉ करने के लिए प्रेरित किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद तुषार ने पीसीएस-जे की भी तैयारी शुरू कर दी और आखिरकार सफलता हासिल कर ली।

शादी की डेट भी बढ़ा दी
तुषार बताते हैं कि 30-31 जनवरी 2019 को उनकी शादी की डेट तय थी। इसी दौरान पीसीएस-जे के इंटरव्यू की डेट आ गई। इसके चलते उन्हें शादी टालनी पड़ी। तुषार बताते हैं कि उन्हें पिता अशोक जायसवाल, मां कल्याणली जायसवाल और पत्नी रिचा जायसवाल ने हमेशा मदद की। पिता होटल व्यवसायी हैं और मां गृहिणी हैं।