परमठ मंदिर के मंहत अजय पुरी ने बताया कि आन्देश्वर मंदिर का इतिहास काशी में स्थापित शिवलिंग से पुराना है। हजारों साल पहले गंगा के किनारे परमठ गांव हुआ करता था। गांव के राजा के पास कई गायें थीं। इनमें से एक गाय राजा को बहुत प्रिय थी। राजा उसी गाय का दूध पिया करते थे। श्रावण मास के दौरान गंगा उफान पर थी, गायों का भोजन गंगा में बह गया। राजा ने अपनी प्रिय गाय को चरवाहे को दे दिया। गाय शाम को आई तो उसने दूध नहीं दिया और यह सिलसिसा कईदिनों तक चलता रहा | राजा को शक हुआ कि चरवाहा गाय का दूध निकाल लेता है और इसी को देखने के लिए वह चरवाहे के पीछे लग गए |गाय घास खाने के बाद एक टीले पर पहुंची, जहां उसके थनों से दूध अपने आप रिसने लगा | राजा ने तत्काल वहां पर खुदाई कराई तो भगवान शंकर की लिंग जमीन के अंदर दिखी | राजा के सैकड़ों मजदूर लिंग को निकालने के लिए लगे रहे लेकिन वह लिंग को बाहर नहीं निकाल सके | राजा हार कर वहीं पर मंदिर निर्माण करा दिया और आन्देश्वर नाम रखा |