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अटल के शहर पहुंचेगा अस्थि कलश, बम्हवर्त गंगा घाट में होंगी प्रवाहित

  कानपुर की गलियों में घूमेंगा अस्थि कलश, हर दल के नेता होंगे शामिल

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Atal ji bones will flow in brahmavart ganga ghat bithoor in kanpur

अटल के शहर पहुंचेगा अस्थि कलश, बम्हवर्त गंगा घाट में होंगी प्रवाहित

कानपुर। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का अस्थि कलश रविवार को दिल्ली से कानपुर आएगा। भारतीय जनता पार्टी के नगर अध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी अपने नेता की अस्थियों को जाजमऊ के गंगापुल पर रिसीब करेंगे। इसके बाद पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता कलश को लेकर पूरे शहर में घूमेंगे। नगर अध्यक्ष ने बताया कि जाजमऊ से हरजिंदर नगर चौराहा से अस्थि कलश यात्रा शुरू होगी जो लाल बंगला, पंडित उपवन चौराहा, नरोना चौराहा, फूलबाग, बड़ा चौराहा, परेड, चुन्नीगंज, बकरमंडी, मोती झील(मधुराज नर्सिंग होम), हैलट गोल चौराहा, रावतपुर स्टेशन तिराहा के सामने से कंपनी बाग (अंबेडकर चौराहा) से विष्णुपुरी कॉलोनी होते हुए गंगा बैराज स्थित बाईपास से बिठूर के ब्रह्मावर्त गंगा तट पर विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ,गगा में विसर्जन किया जाएगा।
बिठूर से था खास लगाव
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कानपुर से गहरा नाता रहा। वो ग्वालियर से कानपुर के डीएवी कॉलेज में पढ़ने के लिए आए। राजनीति शास्त्र में प्रथमश्रृणी में पास होने के बाद अपने पिता के साथ एलएलबी में दाखिला लिया। वो पिता के साथ डीएवी कॉलेज के छात्रावास में कई साल रहे। इस दौरान वो अक्सर बिठूर स्थिम ब्रम्वर्त घाट जाया करते और अपने मित्रमंडली के साथ अक्खड़ अंदाज में कविताएं सुनाते थे। अटल जी इसी शहर से आरएसएस से जुड़े और भाजपा की नींव रखी। प्रोफेसर मदन मोहन पांडेय जो अटल जी के गुरू थे, उनके बेटे केके पांडेय बताते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री शहर की हर गली, मोहल्ले से भलीभांति परचित थे। यहां तक कि यदि कोई उनसे पूछ लेता कि अटल जी आजाद नगर और विष्णूपुरी की कितनी जनसंख्या होगी तो वो सटीक उत्तर देते थे।

हर नेता होगा मौजूद
अटल जी की कलश यात्रा को यादगार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी, मंत्री, विधायक, पार्षद व कार्यकर्ता देरशाम से तैयारी में जुट गया। नगर अध्यक्ष ने बताया कि अटल जी की कलश यादा में अन्य दलों के नेता भी शामिल होंगे। साथ ही कई अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों के आने की संभवना है। मैथानी बताते हैं कि, 1999 में जब 13 दिन की सरकार गिर गई तो उसके तीन दिन बाद पंडित दीनदयाल इंटर कॉलेज में छात्रों को पुरूस्कार देने के लिए अटल जी कानपुर आए। उस वक्त हम जैसे सैकड़ों भाजपा के कार्यकर्ता उनसे मिलने के लिए लालयित थे। पुरूस्कार वितरण के बाद अटल जी ने सभी से कहा कि हमें पार्टी का विस्तार करना। हार नहीं माननी और रार भी नहीं करनी। फिर से चुनाव में जाएंगे और जनता से वोट मांग सरकार बनाएंगे।

सीएम योगी ने लिया निर्णय
अटल जी का रिश्ता यूपी से बेहद खास रहा है। यही वजह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह फैसला लिया है कि कि अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां यूपी से निकलने वाली सभी प्रमुख नदियों में प्रवाहित की जाएंगी। प्रदेश की योगी सरकार ने यह फैसला पूरे प्रदेश में अटल जी की लोकप्रियता को देखकर लिया था। प्रदेश के कई शहरों के साथ अटल जी के गहरे रिश्ते रहे हैं। कांग्रेस के नगर अध्यक्ष हरिप्रकाश अग्निहोत्री कहते हैं कि वो हमारे शहर, प्रदेश व देश की शान थे। उनका इस दुनिया से चला जाना दुखदायी है। रविवार को हम उनके अस्थि कलश में शामिल होंगे। वहीं सपा नगर अध्यक्ष ने भी अटल जी को सुकेलरवादी नेता बताया और कहा कि अटल जी कभी भी जाति-धर्म के नाम पर सियासत नहीं की। वो इस दुनिया में नहीं है, पर उनके बनाए रास्ते पर हम सबको चलना चाहिए।

यूपी थी कर्मभूमि
यूपी से अटल जी का गहरा रिश्ता रहा है और इसी राज्य को उनकी कर्मभूमि कहा जाता है। वह लखनऊ से सांसद बनने के बाद ही देश के पीएम बने। जब तक राजनीति में सक्रिय रहे लखनऊ से ही सांसद रहे। यूपी में बीजेपी को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में वाजपेयी जी का अहम योगदान है। यूपी की राजधानी के अलावा कानपुर, बलरामपुर, आगरा और मथुरा से भी उनका रिश्ता रहा है। उन्होंने कानपुर से पढ़ाई की और बाकी जगहों में वह राजनीतिक रुप से सक्रिय रहे। कानपुर से उनका गहरा रिश्ता रहा। यही वजह रही कि उनकी मौत के बाद अटल जी के सम्मान में व्यापार मंडल ने सात दिनों तक दुकानों में तालेबंदी की घोषणा कर दी। साथ ही शुक्रवार को राज्य के सभी सरकारी कार्यालय, स्कूल, कॉलेजों को आज बंद रहे।