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यहां दिन में तीन रूपों में दर्शन देती है देवी, 5 हजार वर्ष पुराना है मंदिर, इस मुस्लिम महिला ने दान में दी थी जमीन

पांच हजार वर्ष पुराने इस देवी मंदिर के चमत्कार निराले हैं। एक मुस्लिम महिला ने दान में तीन बीघा जमीन दी थी। बताया जाता है कि देवी प्रतिमा दिन में तीन बार रूप बदलती हैं।

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यहां दिन में तीन रूपों में दर्शन देती है देवी, 5 हजार वर्ष पुराना है मंदिर, इस मुस्लिम महिला ने दान में दी थी जमीन

अरविंद वर्मा

कानपुर देहात-जिले का यह 5 हजार वर्ष पुराना देवी मंदिर, जहां नवरात्रि में सैलाब उमड़ता है। यह मंदिर मुक्ता देवी के नाम से पूरे देश में विख्यात है। कहा जाता है कि इस मंदिर के लिए एक मुस्लिम महिला जुवैदा ने 3 बीघा जमीन दान में दे दी थी। क्योंकि वह नही चाहती थी कि उसके रिश्तेदार या नातेदार भविष्य में आगे चलकर इस जमीन की वजह से कोई विवाद या झगड़ा खड़ा करें। जुवैदा के वर्षों से श्रृंगार का सामान बेचकर अपना भरण पोषण करती है और आज भी मंदिर के सामने बैठकर श्रृंगार का सामान बेचती है। जो साम्प्रदायिक सौहार्द की मिशाल देता है। प्राचीन मुक्ता देवी मंदिर में नवरात्र को लेकर श्रद्धालुओ की भीड़ उमड़ पड़ती है। इसे सिद्ध पीठ भी कहा जाता है। लोगों की मान्यता है कि यहां मांगी हर मुराद पूरी होती है। इसलिए जनपद नहीं बल्कि कई प्रांतों के लोग यहां मत्था टेकते हैं। इसे मुक्तेश्वरी देवी के नाम से भी जाना जाता है

पूरे दिन में प्रतिमा तीन रूप बदलती है

कानपुर देहात के मूसानगर इलाके में यमुना नदी के किनारे स्थित प्राचीन मुक्ता देवी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का धाम है। कहा जाता है कि यहां देवी पूरे दिन में 3 रूप बदलती हैं। सुबह बाल अवस्था में भक्तों को दर्शन देती हैं तो दोपहर युवा अवस्था में विराजमान होती हैं। वहीं रात्रि बेला में वृद्धा अवस्था में सभी पर कृपा बरसाती हैं। माता के तीनों रूप के दर्शन के लिए यहां पूरे रुकते हैं और दर्शन कर मनोकामना करते हैं। मनौती पूरी होने पर दोबारा मंदिर आकर घंटे, झंडे व चुनरी चढ़ाते हैं।

बीहड़ के डकैतों की रही बड़ी आस्था

स्थानीय लोग बताते हैं कि मुक्ता देवी मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थित है। यमुना किनारे बीहड़ पट्टी में वर्षों तक डकैतों का राज कायम रहा है और मंदिर प्राचीन होने की वजह से ये उनकी आस्था का स्थान भी रहा है। बताते हैं कि बीहड़ में जिसके खौफ से सन्नाटा गूंजता था। ऐसी दस्यु सुंदरी फूलन देवी और डाकू विक्रम मल्लाह भी यहां माथा टेकने आते थे। नवरात्रि के शुरुवाती दौर में ही वे भोर पहर सबसे पहले झंडा चढ़ाकर माता के बालरूप के दर्शन करके चले जाते थे। वो कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते थे। जानकार बताते है कि देवी की यहां ऐसी कृपा है कि कई दशक पहले मंदिर परिसर में लगी प्रतिमाओं को चोरी कर लिया गया लेकिन बाद में चोर प्रतिमाओं को वापस मंदिर में लाकर रख गए और क्षमा प्रार्थना कर चले गए।

मंदिर के पुजारी का कहना है कि

मंदिर के पुजारी बताते है कि इस बात का किसी को नही पता कि मंदिर कितना पुराना है लेकिन हाल ही में पुरातत्व विभाग की टीम आयी थी। उनके सर्वेक्षण में यह जानकारी हुयी कि मंदिर लगभग 5 हज़ार साल पुराना है। मंदिर परिसर में कई दुकानें भी है। बताते हैं कि यमुना किनारे बने प्राचीन मुक्ता देवी मंदिर में दस्यु सुंदरी फूलन देवी, डाकू विक्रम मल्लाह सहित बीहड़ में रहने वाले तमाम डाकू भी माथा टेकने आते थे और माता का आशीर्वाद लेकर चले जाते थे लेकिन कभी डाकुओ ने किसी को हानि नही पहुचायी।