कानपुर। पूरे देश में छठ पूजा त्योहार बड़ी धूम -धाम के साथ मनाया जाता रहा है। शहर के सभी आठ गंगा घाटों के साथ ही पनकी नहर पर बने कई साल पुराने घाट की साफ सफाई हो गई हैं। यहां नहर को दुल्हन की तरह से सजाया गया है और भोर पहर महिलाओं की भीड़ उमड़ती है और छठ मईया के गीतों से पूरा इलाका सराबोर है। महिलाएं छठपूजा के साथ भगवान सूर्य को अर्ध्य अर्पित करती हैं। इसके अलावा पनकी व कल्याणपुर थानाक्षेत्र में करीब एक लाख से ज्यादा पूर्वान्चल के लोग रहते हैं और उनके घरों में उत्सव की छठा छाई है। छठी मइया के गुनगुनाए जा रहे हैं।
इसलिए पनकी नहर में लगाते हैं डुबकी
पूर्वांचल भोजपुरी छठ पूजा सेवा समिति के अध्यक्ष विजय यादव बताते हैं कि स्थित नहर का छठ पूजा का अपना अलग ही महत्व है। मान्यता है कि पनकी नहर का आस्तित्व पांडु नदी से है। पांडु नदी को महाभारत काल के दौरान पांडव कन्नौज से धारा मोड़कर कानपुर लेकर आए थे। इसी नदी का जल पनकी नहर में आता था और कर्ण ने यहीं पर स्नान ध्यान कर भगवान सूर्य को जल अर्पण करते थे। इस के बाद से यहां पर सैकड़ों भक्त सुबह से लेकर रात तक छठ मईया की पूजा-अर्चना कर मन्नत मांगते हैं।
बिहार की तरह नजारा
पनकी थाना अंतर्गत नहर के दोनों तरफ करीब 3 किलोमीटर दूरी तक छठ पूजा पूजा धूम-धाम के साथ भक्त कर रहे हैं। इसके निए प्रशासन और पूजा संगठनों द्वारा घाटों को साफ़ भी कराया गया है। पूर्वांचल भोजपुरी छठ पूजा सेवा समिति के अध्यक्ष विजय यादव के मुताबिक, 41 साल पहले इस नहर के किनारे छठ पूजा मनाए जाने की परम्परा शुरू की गई थी। वर्तमान में यहां छठ पूजा के समय मिनी बिहार नजर आता है। लोगों के लिए मुफ्त में पानी और चाय का इंतजाम भी किया जाता है। इनके अनुसार पहले अर्घ्य की रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
श्रीकृष्ण के पुत्र ने की थी छठपूजा
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर भगवान भास्कर और छठ माता के पूजन को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। कई कथाओं का वर्णन तो धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी जांबवती से उत्पन्न पुत्र शाम्ब बहुत सुंदर थे। किसी कारणवश भगवान कृष्ण ने उन्हें शाप दे दिया तो वे कुष्ठ रोगी हो गए। यह निश्चित हुआ कि सूर्य उपासना से ही कुष्ठ से मुक्ति मिल सकती है तो शक द्वीपों से आए आचार्यो ने सूर्य उपासना की, तब जाकर शाम्ब कुष्ठ रोग से मुक्ति पा सके।
भगवान राम ने की थी पूजा
प्रभु राम ने की सूर्य उपासना भगवान राम ने रावण से युद्ध करने से पूर्व भगवान भास्कर की उपासना की थी। रावण का वध करने के उपरांत भी भगवान ने षष्ठी तिथि पर भगवान सूर्य की उपासना की। महाराज मनु के पुत्र ने की पूजा ब्रह्मावैवर्त पुराण के प्रकृति खंड में कहा गया है कि महाराज मनु और सतरूपा के पुत्र प्रियवर्त ने सर्वप्रथम छठ माता और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य की उपासना की थी। प्रियवर्त व उनकी पत्नी मालिनी पुत्र की प्राप्ति न होने से परेशान थे। तब महर्षि कश्यप ने उन्हें सूर्य उपासना की सलाह दी। उन्हें पुत्र तो प्राप्त हुआ लेकिन वह मृत था। षष्ठी माता प्रकट हुई और उपासना करने को कहा। व्रत से पुत्र जीवित हो उठा।