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दिहाड़ी की आंच में पिसता बचपन

भारत सरकार हो या राज्य सरकार बच्चों को एजूकेशन से जोड़ने के नाम पर अपने बजट पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं

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Ruchi Sharma

Apr 11, 2016

child labour

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कानपुर.भारत सरकार हो या राज्य सरकार बच्चों को एजूकेशन से जोड़ने के नाम पर अपने बजट पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं। स्कूलों में यूनीफार्म से लेकर खाना, दूध व इलाज की व्यवस्था पर करोड़ों खर्च हो रहे हैं। बाल मजदूरी पर रोक के भी बड़े- बड़े दावे किए जा रहे हैं। इसके बाद भी न तो बाल मजदूरी रुकी न मासूमों पर अत्याचार। विश्वास न हो तो शहर से सटे ईट भट्ठों पर नजर डाल लें। बिहार और दूसरे प्रदेशों आए मजदूर परिवारों के साथ उनके बच्चे भी इन भट्ठों में पिस रहे हैं। एक ईट भट्ठे पर काम करने वाले आठ वर्षीय कलुआ ने स्कूल का मुंह नहीं देखा। कलम व कापी को हाथ नहीं लगाया, इसके बाद भी ईंटों की ढुलाई ने उसे गिनती सिखा दी।

बड़ी सावधानी से भट्टे में पढ़ा कन्हैया

रमईपुर के एक ईट के भठ्टे पर काम कपने वाले बाल मजदूर कलुआ ने बताया कि ईंट के चट्टों में एक-एक हजार की लाइन लगाने के लिए ईंटों को बड़ी सावधानी से गिनना पड़ता है। हर दिन यही करते-करते अपने आप गिनती आ गई। यहां रहने वाले दो दर्जन से अधिक मजदूरों के बच्चे कलम पकड़ने की जगह ईटें ढो रहे हैं। सुबह होते ही चार-चार की टोली बना कर ईंटों की पथाई के बाद उन्हें लकड़ी की बनी एक गाड़ी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते हैं। कलुआ आज ईट की गिनती का कर पांच सौ मजदूरों में सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा मजदूर बन गया है। कलुआ अब ईट की पथाई नहीं करता, उसे गिनती के काम पर भट्ठा संचालक ने काम पर रखा है।

कौड़ियों के दाम पर भुगतान, छोलाछाप से इलाज

कुछ भट्ठों में संचालकों ने झोलाछाप को मजदूर परिवार के इलाज का ठेका दे रखा है। माह के अंत में इसका भुगतान होता है। सबसे बड़ी बात यह है कि भट्ठा संचालक भुगतान करते हैं कौड़ियों में और मजदूरों के मेहनताने से अच्छे इलाज के नाम पर कटौती करते हैं। मजदूर पथाई कच्ची ढुलाई पक्की ढुलाई बिहारी 500 रुपये 250 रुपये 100 रुपये बिलासपुरी 600 रुपये 300 रुपये 150 रुपये क्षेत्रीय 700 रुपये 350 रुपये 200 रुपये के रुप में मजदूरी दी जाती है |

बच्चों से काम नहीं लेने का लेते शपथ पत्र

ईट भट्ठा एसोसिएशन के सचिव इकबाल सिंह यादव ने बताया कि मजदूरों को ठेकेदार लाते हैं। बच्चों से काम न कराने का शपथ पत्र लिया जाता है। कोई परिवार बच्चों से काम कराता है, तो उस पर रोक लगाने के लिए भट्टा संचालक से कहा जायेगा। भट्ठों में पहले स्कूल की व्यवस्था की गई थी, लेकिन अब कोई बच्चा पढ़ता ही नहीं है। मामले पर एसडीएम सदर डीडी वर्मा का कहना है कि बाल मजदूरी रोकने के लिए प्रशासन सक्रिय है। अगर कहीं बच्चे मजदूरी कर रहे हैं तो इसकी जांच कराई जाएगी।

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