कानपुर.भारत सरकार हो या राज्य सरकार बच्चों को एजूकेशन से जोड़ने के नाम पर अपने बजट पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं। स्कूलों में यूनीफार्म से लेकर खाना, दूध व इलाज की व्यवस्था पर करोड़ों खर्च हो रहे हैं। बाल मजदूरी पर रोक के भी बड़े- बड़े दावे किए जा रहे हैं। इसके बाद भी न तो बाल मजदूरी रुकी न मासूमों पर अत्याचार। विश्वास न हो तो शहर से सटे ईट भट्ठों पर नजर डाल लें। बिहार और दूसरे प्रदेशों आए मजदूर परिवारों के साथ उनके बच्चे भी इन भट्ठों में पिस रहे हैं। एक ईट भट्ठे पर काम करने वाले आठ वर्षीय कलुआ ने स्कूल का मुंह नहीं देखा। कलम व कापी को हाथ नहीं लगाया, इसके बाद भी ईंटों की ढुलाई ने उसे गिनती सिखा दी।