scriptरसगुल्ला खाते ही पड़ा हार्ट अटैक, डॉन अतीक पहलवान की मौत | death of criminal atiq due to heart attack in kanpur hindi news | Patrika News
कानपुर

रसगुल्ला खाते ही पड़ा हार्ट अटैक, डॉन अतीक पहलवान की मौत

जेल से छूटने के बाद खुशी में घर में रखी थी पार्टी, शुगर की बीमारी होने के बाद भी खाए रसगुल्ले, दिल का दौरा पड़ने से खूनी सड़क के बेताब बादशाह की मौत।

कानपुरMay 18, 2019 / 08:12 pm

Vinod Nigam

death of criminal atiq due to heart attack in kanpur hindi news

रसगुल्ला खाते ही पड़ा हार्ट अटैक,डॉन अतीक पहलवान की मौत

कानपुर। खूनी सड़क के बेताब बादशाह फहीम उर्फ अतीक पहलवान की हार्ट अटैक पड़ने से मौत हो गई। परिजनों के मुताबिक उन्हें शुगर थी और डॉक्टरों ने पकवान खाने पर रोक लगाई हुई थी। जेल से बाहर आने की खुशी के कारण उन्होंने बाजार से रसगुल्ले मंगवाए और खा गए। कुछ देर के बाद उनके सीने में दर्द हुआ और मौत हो गई।

कौन है फहीम उर्फ अतीक
नई सड़क निवासी फहीम उर्फ अतीक पहलवान शहर का नामी अपराधी था। फहीम के खिलाफ तीन दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे। 90 के दशक में फहीम की तूती कानपुर में बोलती थी। फहीम ने कईयों का खून बहाया और इसी के कारण चमनगंज स्थित एक सड़क का नाम खूनी सड़क पड़ा। स्थानीय निवासी अकरम बताते हैं कि फहीम उर्फ अतीक बचपन से पहलवानी के दांव-पेंच सीखा करता था। बड़ा होने पर अखाड़ों में बड़े-बड़े पहलवानों को चित कर चुका था। पर इसी दौरान डी टू गैंग से फहीम का झगड़ा हो गया और पहलवान अपराध की दुनिया में कदम बड़ा दिए। फिर पूरे इलाके में फहीम की तूती बोलती थी।

सीपी पाठक हत्याकांड में आया था नाम
कानपुर में एडीएम सीपी पाठक की दंगाईयों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। एडीएम पाठक हत्याकांड में पुलिस ने छह लोगों वासिफ हैदर, मुमताज, हाजी अतीक, सफात रसूल, फाकिर और रेहान को आरोपी बनाया था। इनमें वासिफ हैदर, मुमताज, हाजी अतीक और सफात रसूल को गिरफ्तार कर पुलिस ने चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी थी। जिसमें पुलिस ने एन वक्त में अतीक का नाम चार्जशीट से हटा लिया। इसके बाद वो जेल से बाहर आ गया। पर मोहल्ले में आपसी विवाद के बाद उसे पुलिस ने फिर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद फहीम उर्फ अतीक की मौत हो गई।

खूनी सड़क का बेताब बादशाह
फहीम और शहर के एक नामी गैंग के बीच आएदिल झड़प् होती थी। सड़क के इस पार फहीम तो उस पार दूसरे गैंग का कब्जा था। लेकिन 90 के दशक में फहीम ने कईयों का खून बहाया और सड़क का नाम खूनी सड़क पड़ गया। स्थानीय निवासी बताते हैं कि फहीम के चलते डी टू, डी 39 गैंग इस इलाके में अपने पैर नहीं जमा पाया। पाठक की हत्या के बाद फहीम के जेल जाने के बाद यहां पर डी-टू का कब्जा हो गया। गैंग के गुर्गे अवैध करोबार करने लगे।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो