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यहां कैद में पड़े बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, ग्रामीणों ने बताई बड़ी वजह, देखें वीडियो

अंबेडकर जयंती आज, कानपुर देहात के भोगनीपुर जिले में कैद में पड़े हैं डॉ भीमराव आम्बेडकर, सामने आई बड़ी वजह...

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dr bhimrao ambedkar

कानपुर देहात. आज पूरे देश में डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जयन्ती धूमधाम से मनाई जा रही है। लोग उनकी प्रतिमाओं पर फूल माला पहनाकर उनकी जयंती को हर्षोउल्लास से मना रहे हैं। लेकिन एक ऐसा स्थान भी है, जहां संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति को लोग कैद किए हैं। प्रतिमा को अंदर रखकर चैनल बंद कर दिया गया है। इसका उद्देश्य कोई गलत नहीं, बल्कि कोई अराजक तत्व प्रतिमा को नुकसान न पहुंचाए इसलिए सुरक्षित करने के उद्देश्य से उन्हें चैनल के अंदर बंद किया गया है। समय समय पर गांव के लोग चैनल खोलकर माल्यार्पण करते हैं। देखा जाये तो अम्बेडकर जयंती के दिन उनको चैनल से आज़ाद किया जाता है। आज के दिन उनकी जयंती पर लोग हर्षोउल्लास मनाते हैं।

यह नजारा कानपुर देहात के भोगनीपुर के पिलखनी गांव का है, जहां की दास्तां सुनकर लोग दंग रह जाते हैं। इस गांव में डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर को चाहने वालों की कुछ खास वजह है कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को कोई भी नुकसान न पहुंचाने पाये इसलिए उनकी प्रतिमा को ग्रामीण अंदर सुरक्षित रखे हुए हैं और बाहर चैनल से बंद किए हुए है। लेकिन जब हमने इस बारे में गांव के लोगों से बात की तो उन्होंने खुद बताया कि आज तक हमने कहीं भी अम्बेडकर जी की प्रतिमा को बंद नही देखा। किसी खुले स्थान या सार्वजनिक स्थान पर ही देखा है, लेकिन अराजक तत्वों को देखते हुए इस गांव में मूर्ति को नुकसान न करे इसलिए बंद कर दिया जाता है। यहां तक कि गांव के ही लोगों का कहना भी है कि इस प्रतिमा का चैनल कभी-कभी ही खोला जाता है, जब कोई विशेष अवसर होता है या जयंती के मौके पर चैनल खोला जाता है।

ग्रामीण बोले
लोगों का कहना है कि संविधान निर्माता डाक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पहले गांव स्तर से बनवाई गई थी। सभी का सहयोग मिला था फिर ग्राम प्रधान का सहयोग मिला और इसके बाद विधायक के द्वारा बाउंड्रीवाल कराई गई थी, जिससे सुरक्षित रहे। क्योंकि बाहर शरारती बच्चे कोई पत्थर रोड़ा न मार दें। दो तीन दिन में खोलकर साफ सफाई की जाती है। वहीं ग्रामीण सौरभ द्विवेदी का कहना है कि हमने बंद प्रतिमा कभी नहीं देखी, लेकिन यहां सुरक्षा के मद्देनजर बंद कराया गया है। विशेष कार्यक्रम या पर्व पर प्रतिमा को खोला जाता है।

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