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न आएगी कमजोरी न सताएगी डायबिटीज, जब खाएंगे गन्ने की खोई से बना ये बिस्किट

Healthy Biscuit Made from SugarcaneBaggase in National Sugar Institute- राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (NSI) ने गन्ने की खोई (Sugarcane Bagasse) और गुड़ से एक बिस्किट (Biscuit) तैयार किया है, जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के खजाने से भी भरपूर है। यह बिस्किट फाइबर, विटामिन व कैल्शियम की विशिष्टता को संजोए है और खोई के फाइबर ने उसे अधिक गुणकारी बना दिया है।

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Healthy Biscuit Made from SugarcaneBaggase in National Sugar Institute

Healthy Biscuit Made from SugarcaneBaggase in National Sugar Institute

कानपुर. Healthy Biscuit Made from SugarcaneBaggase in National Sugar Institute. राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (NSI) ने गन्ने की खोई (Sugarcane Bagasse) और गुड़ से एक बिस्किट (Biscuit) तैयार किया है, जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के खजाने से भी भरपूर है। यह बिस्किट फाइबर, विटामिन व कैल्शियम की विशिष्टता को संजोए है और खोई के फाइबर ने उसे अधिक गुणकारी बना दिया है। यह बिस्किट विटामिन सी और अन्य पौष्टिक तत्वों से भरपूर होने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। बिस्किट के विभिन्न फ्लेवर हैं जो कि हर उम्र के लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। संस्थान ने इसकी तकनीक को पेटेंट कराया है। अब इसकी तकनीक किसी कंपनी को देने की तैयारी है ताकि इसी साल बिस्किट बाजार में आ सकें।

चीनी की जगह गुण का इस्तेमाल

गन्ने की पेराई के बाद उसकी खोई बच जाती है। इसका निस्तारण चीनी मिलों के लिए बड़ी समस्या रहता है। दरअसल सीधे तौर पर इसका कोई उपयोग नहीं होता है। बाजार में बेचने पर एक से डेढ़ रुपये प्रति किलो ही कीमत मिलती है। खोई जलाने से प्रदूषण होता है। इसको देखते हुए एनएसआई के विशेषज्ञों ने किसानों और चीनी कारखानों को अतिरिक्त लाभ दिलाने के लिए अन्य सह उत्पाद विकसित किए हैं। यह बिस्किट फाइबर के रूप में तैयार किया गया है। संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन के अनुसार बिस्किट बनाने के लिए बेकिंग पाउडर, क्रीम, फैट आदि शामिल किया गया हैं। इसमें कॉपर, विटामिन बी, सी और ई की मात्रा अधिक है। सेहत को ध्यान में रखते हुए चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल किया गया है।

बता दें कि इससे पहले भी राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने गन्ने की खोई से कई अन्य चीजें बनाई हैं। संस्थान ने गन्ने की खोई से जैव-डिटर्जेंट विकसित करने की नई तकनीक भी बनाई है। इसका भी पेटेंट कराया है। इसके अलावा कुर्सी, मेज, दरवाजे सहित अन्य फर्नीचर में भी इसका इस्तेमाल किया गया है।

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