
शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के पीछे छिपे है बड़े महत्व, जानिए क्या है रहस्य
कानपुर देहात-हिंदू धर्म के अनुसार सावन का माह का विशेष महत्व होता है। भगवान शिव की उपासना कर लोग शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। विद्वानों के मुताबिक जलाभिषेक का वैज्ञानिक व आध्यात्मिक कारण भी बताया गया है। इसलिए सोमवार को जलाभिषेक का खास महत्व होता है। शिव जी पर जलाभिषेक करने से नकारात्मक क्षरण होता है। इसलिए लोग जल व दूध से जलाभिषेक करते हैं। सावन माह में मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। लोग पूजा आराधना कर मनौती मांगते है। भजन कीर्तन कर लोग भोलेनाथ को मनाते हैं। बड़ी संख्या में लोग शिवालयों में पहुंचकर जलाभिषेक करते हैं।
जानिए जलाभिषेक का भौतिक कारण
पंडित जगदीश द्विवेदी का कहना है कि शिवलिंग पर जलाभिषेक के पीछे एक भौतिक कारण भी होता है। जब इंसान के शेर में नकारात्मक उर्जा संरक्षित होती है, जलाभिषेक करने पर वह नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। उनका कहना है कि पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने समुद्र मंथन में निकले विष से संसार को बचाने के लिए विषपान किया था, जिससे उनका मस्तक गर्म हो गया था तो उस दौरान देवताओं ने उनके सिर पर जल डाल कर ठंडा किया था। तब से जलाभिषेक की परंपरा शुरू हो गयी। उन्होंने बताया कि मृत्यलोक में मस्तक गर्म होने का मतलब नकारात्मक भावों के उत्पन्न होने से होता है।
मष्तिष्क को ठंडा करना आध्यात्मिक कारण
इसके अलावा जलाभिषेक के अध्यात्मिक कारण का उल्लेख करते हुए उन्होने कहा कि मस्तिष्क के केंद्र यानि इंसान के माथे के मध्य में आग्नेय चक्र होता है जो पिंगला और इडा नाड़ियों के मिलने का स्थान है। जिससे इंसान की सोचने समझने की क्षमता संचालित होती है और इसे ही शिव का स्थान कहते हैं। मस्तिष्क शांत रहे, इसके लिए शिव का मन शीतल रहना आवश्यक है। इसीलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है, जो शिव को शीतलता देने का कारण माना जाता है।
ये है जलाभिषेक का वैज्ञानिक कारण
जबकि शिवलिंग पर जल चढ़ाने के पीछे के वैज्ञानिक कारण का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि शिव की सभी ज्योतिर्लिग पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है। एक शिवलिंग एक न्यूक्लिअर रिएक्टर्स की तरह रेडियो एक्टिव एनर्जी से परिपूर्ण होता हैं। यही कारण है कि इस प्रलंयकारी ऊर्जा को शांत रखने के लिए ही शिवलिंगो पर निरंतर जल चढ़ाने की परंपरा है। क्योंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है, इसीलिए इस जल को बहाने वाले मार्ग को लांघा नहीं जाता है। वहीं शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल, नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।
Published on:
07 Aug 2018 01:24 pm
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