ब्लड बैंक प्रभारी प्रो. लुबना खान का कहना है कि ब्लड रक्तकोष से निकलने के बाद अगर दो घंटे के भीतर नहीं चढ़ाया जाता है तो उसके खराब होने का खतरा पैदा हो जाता है। वैसे भी ब्लड सामान्य फ्रिज में नहीं रखा जाता है। इसके लिए वार्डों में या विभागों में विशेष प्रकार के फ्रिज होने चाहिए। जब तक यह व्यवस्था नहीं है तीमारदार रक्तकोष में ही ब्लड रखें। जरूरत पर उन्हें दे दिया जाएगा। कई विभागों में डॉक्टर गर्मी को देखते हुए ऐसा करन लगे हैं।
यहां मरीजों के तीमारदार ब्लड बैंक से खून लेकर आते हैं मगर किन्हीं कारणवश ब्लड नहीं चढ़ाए जाते हैं कभी ऑपरेशन टल जाता है तो कभी मरीज की स्थिति खून चढ़ाने लायक नहीं होती। ऐसी स्थिति में खून खुले में वार्डों में रखा रहता है। कई बार खून खराब होने की शिकायत भी हो चुकी है। इसे देखते हुए ब्लड बैंक ने यह व्यवस्था की कि लोग ब्लड डोनेट कर दें। उनका ब्लड रक्तकोष में सुरक्षित रहेगा। जब जरूरत हो तभी ले जाएं।
डोनेट कराए गए खून वार्डों में इसलिए खराब हो रहे हैं, क्योंकि एक भी वार्ड में ब्लड रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। कुछ डॉक्टर डोनेशन कराने के बाद ब्लड बैंक में ही रक्त सुरक्षित करवा रहे ताकि खून खराब नहीं हो। सर्जरी, आर्थोपेडिक सर्जरी, अपर इंडिया जच्चा बच्चा में सबसे अधिक ब्लड की खपत है। मेडिसिन में भर्ती और डायलिसिस के मरीजों को भी भी ब्लड की जरूरत पड़ जाती है।
हैलट के प्रमुख अधीक्षक प्रो. आर के मौर्या का कहना है कि यह सही है कि कभी-कभी सर्जरी टलने या किसी अन्य वजह से खून का इस्तेमाल नहीं हो पाता है। ऐसे में ब्लड बैंक में सुविधा की गई है। गर्मी में ब्लड स्टोर करने में लापरवाही नहीं होने पाए नहीं तो मरीजों की जान पर बन सकती है। सर्जरी, आर्थोपेडिक सर्जरी, मेडिसिन और गायनी विभाग में रक्त रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए दो बार प्रस्ताव शासन को भेजे गए हैं।