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आईआईटी कानपुर का नया शोध, एक क्लिक पर पता चल जाएंगे संस्कृत शब्दों के तीन भाषा में अर्थ

locationकानपुरPublished: Aug 13, 2022 04:20:52 pm

Submitted by:

Snigdha Singh

IIT Kanpur: आईआईटी कानपुर ने एक ऐसी वेबसाइट तैयार की है, जिसमें चार अलग अलग भाषाओं में आपको ग्रंथ उपलब्ध होंगे.

 IIT Kanpur New research in one click will know the meaning of Sanskrit words in three languages

IIT Kanpur New research in one click will know the meaning of Sanskrit words in three languages

आईआईटी कानपुर द्वारा एक ऐसी वेबसाइट तैयार की गई, जो अन्य भाषाओं में उच्चारण कर सकेगी। संस्थान ने अपडेट करते हुए अब इस वेबसाइट से संस्कृत और उर्दू जैसी भाषाओं को जोड़ा है। संस्कृत, उर्दू, हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं में उच्चारण या यू कहे कि ट्रांसलेट कर सकते हैं। मात्र एक क्लिक से संस्कृत और उर्दू जैसे शब्दों का अर्थ और ट्रांसलेशन जान सकते हैं। आईआईटी कानपुर के इंजीनियर बीएम शुक्ला ने ये वेबसाइट विकसित की है, जिसमें संस्कृत भाषा को अधिक महत्व दिया गया है। इस वेबसाइट की खासियत है कि संस्कृत ही नहीं, हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी के किसी भी शब्द को इस पर डालते ही अन्य तीन भाषाओं में उसके अर्थ आ जाएंगे।
इंजीनियर बीएम शुक्ला ने बताया कि इस वेबसाइट में पुराने सभी ग्रंथों में विज्ञान की भरमार है। दरअसल, संस्कृत भाषा के कारण वैज्ञानिक व युवा पीढ़ी ग्रंथों से दूर भाग रहे है। बढ़ रही दूरी को ही खत्म करने के लिए नई शुरुआत हुई है। इसके लिए वर्ष 2009 में वेबसाइट की शुरुआत की। सभी वेद, उपनिषद समेत अधिकतर ग्रंथों को ऑनलाइन कर दिया है। श्लोकों के साथ उनका रोमन में उच्चारण और हिन्दी में अर्थ आता है। वेबसाइट लगातार अपडेट की जा रही है। संस्कृत में लिखे ग्रंथों को अपलोड करने के साथ शब्दकोष में शब्दों की संख्या बढ़ाई गई है।
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वेबसाइट में इन भाषाओं के 1.18 लाख शब्द

वेबसाइट में कुल 1.18 लाख शब्द हैं। इसमें संस्कृत के 34,000, हिन्दी के 43,000, अंग्रेजी के 32,000 और उर्दू के 9,000 शब्द है। अभी उर्दू के शब्दों की संख्या कम है। आगे अपग्रेड होने पर इनको भी बढ़ाया जाएगा। वहीं, साधारण बोलचाल के 3,000 शब्द हैं।
ये ग्रंथ हैं उपलब्ध

वेबसाइट में शाब्दिक उच्चारण के साथ अलग ग्रंथ है। जिसमें चारों वेद, वेदांत, दर्शन शास्त्र, आयुर्वेद, 220 उपनिषद, अष्टावक्र गीता, शंकराचार्य के तत्वबोध, आत्मबोध व पंचदशी, अष्टाध्यायी, रावणशास्त्र उपलब्ध हैं।
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