24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मुश्किल में थी जिंदगी, जुगाड़ की इंजीनियरिंग ने बचाई जान

कानपुर आईआईटी के छात्र कार्तिकेय मंगलम ने बचाई सहयात्री की जिंदगी, हवाई सफर में इंसुलिन पेन में खुराक पहुंचाने को जुगाड़ से बनाया प्रेशर

3 min read
Google source verification
IIT Kanpur, Karttikeya Mangalam,  Electrical Engineering in IIT Kanpur,  flight from Geneva to Delhi via Moscow,  Amsterdam, Thomas,  insulin injecting device, jugad, Jugaad, hindi news

कानपुर . फिल्म ‘थ्री इडियट’ का क्लाईमेक्स सीन याद है। इंजीनियरिंग संस्थान के रैंचो ने डीन वायरस की बिटिया की डिलेवरी कराने के लिए वैक्यूम क्लीनर की मदद से एक प्रेशर यंत्र बनाया था। गजब संजोग है। काबिल बनने का मंत्र सिखाने वाली फिल्म के क्लाइमेक्स सीन का हकीकत में रीमेक हुआ है। संयोग भी गजब है। यहां भी जिंदगी बचाने के लिए जुगाड़ की इंजीनियरिंग का सहारा लिया गया। आपातस्थिति थी और इंसुलिन पंप में प्रेशर बनाने के लिए तकनीक का जुगाड़ से गठबंधन किया गया। सबसे खास बात यहकि रीमेक के हीरो भी तकनीकी संस्थान के रैंचो यानी अव्वल छात्र हैं। आईआईटी-कानपुर के छात्र कार्तिकेय मंगलम ने अपनी काबिलियत से बीते दिनों जिनेवा से नई दिल्ली की उड़ान के दौरान सैकड़ो फीट ऊपर डायबिटिक सहयात्री की जिंदगी बचाकर खुद को रैंचो साबित किया है। इस घटना के बाद मिलने-जुलने वाले कार्तिकेय को थ्री इडियट का आमिर खान कहने लगे हैं।


30 मिनट की देरी होती तो थॉमस की थम जाती जिंदगी

यह वाक्या जेनेवा से नई दिल्ली की उड़ान के दौरान हुआ। स्वीटजरलैंड के इंजीनियरिंग संस्थान के एक अध्ययन कार्यक्रम में शामिल होने गए कार्तिकेय ने जेनेवा से नई दिल्ली की फ्लाइट पकड़ी थी। मास्को इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एम्स्टर्डम के 30 वर्षीय थॉमस भी हवाईजहाज में सवार हुए। उड़ान के दौरान करीब पांच घंटे बाद उन्हें बेचैनी महसूस हुई तो मालूम हुआ कि सुरक्षा जांच से गुजरने के दौरान वह अपना इंसुलिन पंप जांच ट्रे पर ही भूल आए थे। हालात बिगडऩे पर एयरहोस्टेज की पुकार पर सहयात्री डाक्टर ने प्राथमिक इलाज का प्रयास किया, लेकिन नाकाम रहे। डाक्टर ने बताया कि इमरजेंसी लैंडिंग ही विकल्प है, अन्यथा 30 मिनट में मौत हो जाएगी।


लैंडिंग में लगता एक घंटे का वक्त, कार्तिकेय ने संभाला मोर्चा

फ्लाइट मेंबर ने बताया कि नजदीकी हवाईअड्डा कजाकिस्तान-अफगास्तिान की सरहद पर मौजूद है, लेकिन वहां लैंडिंग करने में कम से कम एक घंटे का वक्त लगेगा। ऐसे में डाक्टर ने थॉमस की जिंदगी बचाने की संभावना शून्य बताई तो आईआईटी-कानपुर में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर के छात्र कार्तिकेय मंगलम ने इंसुलिन डिवाइस पेन को देखने की इच्छा जताई। इसके बाद कार्तिकेय ने फ्लाइट क्रू मेंबर से कहाकि वह थॉमस की जिंदगी बचाने का प्रयास कर सकते हैं, बशर्ते उन्हें वाई-फाई सुविधा मुहैया कराई जाए। क्रू मेंबर ने बिजनेस क्लास की वाई-फाई सुविधा मुहैया कराई तो कार्तिकेय ने सबसे पहले इंसुलिन पेन डिवाइस का सिस्टम समझा। इसके बाद मोर्चा संभाल लिया।

कार्तिकेय ने बनाया प्रेशर, डाक्टर ने मुहैया कराई इंसुलिन

तीस हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान थी। प्लेन में मौजूद डाक्टर के पास इंसुलिन की डोज मौजूद थी, लेकिन उसे पर्याप्त मात्रा में थॉमस के शरीर में पहुंचाने के लिए प्रेशर का जुगाड़ नहीं था। ऐसी स्थिति में कार्तिकेय ने आईआईटी में प्रथम वर्ष के दौरान बनाई ड्राइंग को अपने मोबाइल सेट पर खोला और समझा। कार्तिकेय ने पाया कि डिवाइस में 12 पुर्जे मौजूद हैं, लेकिन ड्राइग्राम में 13 पुर्जे दिखाए गए हैं। नदारद पुर्जा एक स्प्रिंग जैसा था, जोकि जरूरत महसूस होने पर इंसुलिन पंप से निर्धारित मात्रा में इंसुलिन को प्रेशर देकर डिवाइस तक पहुंचाता था। इसके बाद कार्तिकेय ने थॉमस के शरीर में फिट इंसुलिन डिवाइस पेन को खोलकर सहयात्रियों से बॉलपेन में लगने वाली स्प्रिंग मुहैया कराने का आग्रह किया। बॉलपेन की स्प्रिंग को कार्तिकेय ने इंसुलिन डिवाइस पेन में फिट कर दिया। इसके बाद डाक्टर ने इसे दुरुस्त पाया और थॉमस को इंसुलिन की डोज मुहैया कराई। अब थॉमस की स्थिति में सुधार दिखने लगा था।

गुरुग्राम के अस्पताल पर पहुंचाया, एम्स्टर्डम आने का न्योता

थॉमस की जिंदगी बचाने के बाद भी कार्तिकेय मंगलम ने मोर्चा नहीं छोड़ा। नई दिल्ली में सफर खत्म होने के बाद कार्तिकेय ने थॉमस को गुरुग्राम के नामचीन अस्पताल में पहुंचाया। एंबुलेंस के स्ट्रेचर पर लेटे थॉमस ने जिंदगी बचाने के लिए कार्तिकेय का धन्यवाद दिया और कार्तिकेय को एम्स्टर्डम आने का न्योता देते हुए बताया कि उनका बेकरी का कारोबार है।