एसजे लॉ कॉलेज से २०१४-१७ में एलएलबी करने वाले नर्वल भितरगांव निवासी प्रशांत पुत्र राम कुमार ने जब वकालत के लिए बार कौंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश में पंजीकरण करने के लिए अपने शैक्षिक दस्तावेज लगाए तो वहां से इनका सत्यापन कराया गया। जिसमें यह पता चला कि यह दस्तावेज किसी प्रशांत कुमार भारती पुत्र रामदेव भारती के हैं। विश्वविद्यालय के रिकार्डों में यही नाम दर्ज मिला। जिसके बाद हेराफेरी का खुलासा हुआ।
विश्वविद्यालय में जिस प्रशांत भारती का रिकार्ड मौजूद है उसमें हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की मार्कशीट भी फर्जी है। यह दस्तावेज असलियत में किसी सरोज नाम की लड़की के हैं जिसका रिकार्ड ऑनलाइन मौजूद हैं। नर्वल निवासी प्रशांत अपने शैक्षिक दस्तावेज सही कराने के लिए दो माह से विश्वविद्यालय के चक्कर काटता रहा पर कोई सुनवाई नहीं की गई।
विश्वविद्यालय में शैक्षिक दस्तावेजों में संशोधन के लिए ३०० रुपए जमा किए जाते हैं। संशोधन के लिए छात्र को हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के शैक्षिक दस्तावेज जमा करने होते हैं, इन दस्तावजों का संबंधित बोर्ड से सत्यापन करने के बाद ही विश्वविद्यालय अपने दस्तावेजों में संशोधन करता है। जिसके बाद मार्कशीट को संशोधित किया जाता है।
विश्वविद्यालय की फर्जी मार्कशीट को लेकर तो पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं पर नाम बदलकर दूसरी मार्कशीट जारी करने का यह नया मामला है, जिसने सबसे कान खड़े कर दिए हैं। इसमें विश्वविद्यालय के लोगों की मिलीभगत की पूरी संभावना है, क्योंकि उनके बिना यह संभव नहीं है।