इस समस्या को लेकर दर्ज हुई शिकायतें कानपुर देहात के चिलौली गांव निवासी सुशांक दीक्षित ने मामले को लेकर टोल प्रबंधन को शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उनकी कार में लोकल ई-पास बना है, जिसका रिचार्ज 31 दिसंबर तक है। हालांकि आगे की समस्याओं से बचने के लिए फास्टैग ले लिया था। उन्होंने कहा कि बीते 11 दिसंबर को वह टोल से गुजरे थे। फास्टैग जेब में रखा था, लेकिन कुछ घंटे बाद ही मोबाइल में 140 रुपये कटने का मैसेज आ गया। फिर इसी क्रम में 20 दिसंबर को भी ऐसा ही हुआ। जिस पर टोल प्रबंधन को मामले से अवगत करा शिकायत दर्ज कराई है। टोल प्रबंधन के अनुसार अब तक इस तरह के करीब एक दर्जन से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें जानकारी के अभाव में वाहन स्वामियों के अकाउंट से चार्ज कट गया है।
कैसे कार्य करता है फास्टैग यह फास्टैग वाहन के विडस्क्रीन में लगाया जाता है। दरअसल टैग में रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन लगा होता है। जब वाहन टोल बूथ से गुजरता है तो वहां लगा सेंसर आपके वाहन के विडस्क्रीन में लगे फास्टैग को रीड कर लेता है और आपके फास्टैक अकाउंट से उस टोल प्लाजा पर लगने वाला शुल्क काट देता है। यहां तक कि यदि फास्टैग कूपन आपकी जेब में या वाहन के किसी बॉक्स में है तो भी टोल से गुजरने के दौरान फास्टैग अकाउंट से आपका शुल्क कटते ही आपके मोबाइल पर मैसेज आ जाएगा। इसके जरिये आपके फास्टैग अकाउंट से कटी राशि की जानकारी आपको मिलती रहेगी।