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मुलायम की नाक में दम करने वाले आईपीएस ने दागे सवाल, साहनी के बाद एसपी सुरेंद्र की मौत का योगी सरकार दे जवाब

साहनी के बाद आईपीएस सुरेंद्र की सुसाइड के बाद अधिकारियों ने यूपी सरकार पर खड़े किए सवाल, विपक्ष ने भी कहा पुलिसबल तनाव पर कर रहा है कार्य

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ips Thakur questioned Yogi Sarkar after succession of IPS Surendra Das

मुलायम की नाक में दम करने वाले आईपीएस ने दागे सवाल, साहनी के बाद एसपी सुरेंद्र की मौत का योगी सरकार दे जवाब

कानपुर। उत्तर प्रदेश के तेज-तर्राक आपीएस सुरेंद्र दास की रविवार की दोपहर रीजेंसी हॉस्पिटल में मौत हो गई। पुलिस ने उनके शव का पोस्टमार्टम करा पुलिसलाइन में गार्ड-ऑफ-ऑनर देकर दाह संस्कार के लिए लखनऊ भेज दिया। 2014 बैच के आईपीएस की मौत के बाद मुलायम की नाम में दम करने वाले आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने फेसबुक के जरिए उन्हें श्रृदांजलि दी। इस दौरान उन्होंने लिखा कि योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान महज तीन माह के अंदर दो अधिकारियों ने डिप्रेशन में आकर सुसाइड किया है। पुलिसकर्मियों में तनाव इतना कष्टकर प्रभाव हमें पिछले तीन माह में देखने को मिला है। हम हमें इस आयाम पर विशेष ध्यान देना चाहिए। सीएम योगी आदित्यनाथ का कर्तव्य बनता है कि यूपी पुलिस के अफसर व जवान क्यों जान दे रहे हैं। इसके लिए उन्हें तह तक जाना होगा। ठाकुर के बयान के बाद कानपुर से लेकर लखनऊ तक हलचल बढ़ गई है। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने एसपी की मौत पर अफसोस जताया तो डीजीपी ओपी सिंह भी पुलिस में काम का तनाव की बात कह चुके हैं।

तनाव में आकर खाया था जहर
रविवार दोपहर 12ः19 बजे कानपुर एसपी पूर्वी सुरेंद्र दास ने रीजेंसी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। उन्हें 5 सितंबर को सल्फास खाने के बाद भर्ती कराया गया था। लाइफ सपोर्ट सिस्टम और एक्मो मशीने के सहारे उन्हें बचाने की जद्दोजहद चल रही थी। रविवार दोपहर को हार्ट ने अचानक काम करना बंद कर दिया। निगरानी कर रहे डॉक्टरों ने उखड़ रहीं सांसें रिकवर करने की कोशिश की लेकिन उन्हें बचा नहीं सके। रीजेंसी अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर राजेश अग्रवाल ने बताया कि सल्फास की डोज काफी ज्यादा थी। हार्ट ने अचानक काम करना बंद कर दिया। काफी जद्दोजहद के बावजूद आईपीएस अफसर को नहीं बचाया जा सका। उन्हें सर्वश्रेष्ठ इलाज दिया गया। बेटे की मौत पर मां इंदूदेवी, भाई नरेंद्र दास समेत कई पुलिसकर्मी व दरोगा बिलख पड़े। कुछ ही देर में कमिश्नर, डीएम और एसएसपी भी अस्पताल पहुंच गए। पंचायतनामा की प्रक्रिया पूरी कर शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। तीन डॉक्टरों के पैनल ने वीडियोग्राफी के बीच पोस्टमार्टम किया।

ठाकुर ने उठाए सवाल
आईपीएस सुरेंद्र दास के सुसाइड के बाद वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी व मुलायम के खिलाफ मामला दर्ज कराने वाले अमिताभ ठाकुर ने भी योगी सरकार पर सवालिया निशान लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए सुरेंद्र दास को श्रृदांजलि देते हुए सरकार पर कटाक्ष किया। ठाकुर ने लिखा है कि साहनी ने तनाव के चलते जान दी और अब एक और आईपीएस इसकस शिकार हो गया। कहीं न कहीं आईपीएस ठाकुर ने सीधे योगी सरकार पर हमला बोला है। इसी के चलते सियासत भी गर्म हो गई है। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने एसपी की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि सीए योगी पुलिसबल से 24 घंटे काम ले रही है। उन्हें कई तरह से तनाव ग्रसित किया जा रहा है। ट्रांसफर, निलंबन के अलावा अपराधों की बढ़ती संख्या के चलते पुलिस डिप्रेशन का शिकार है। सरकार को पुलिस बल के लिए अवकाश देने का ऐलान करना चाहिए।

तीन माह पहले साहनी ने किया था सुसाइड
मई 2018 में यूपी के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) में तैनात वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजेश साहनी लखनऊ स्थित एटीएस के मुख्यालय में ही संदिग्ध अवस्था में मृत पाए गए थे। वे यूपी एटीएस में एडिशनल एसपी के तौर पर तैनात थे। राजेश साहनी ने अपने ही रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली थी। राजेश साहनी ने ही इस्लामिक स्टेट के खुरासान मॉड्यूल का का खुलासा किया था। राजेश साहनी का नाम यूपी पुलिस के बेहद तेजतर्रार अफसरों में शामिल है। इतना ही नहीं, उन्होंने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट रमेश सिंह को गिरफ्तार करने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। राजेश साहनी वर्ष 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी थे, लेकिन उनके सुसाइड करने की घटना से पूरे प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया था।

24 घंटे ड्यूटी, नहीं मिलती छुट्टी
आईपीएस सुरेंद्र दास की मौत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरा शोक जताया है। योगी ने कहा, राज्य सरकार दुखी आईपीएस परिवार के साथ है। जबकि यूपी के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह शनिवार को कानपुर आए और रीजेंसी अस्पताल जाकर सुरेंद्र दास को देखा। इस मौके पर डजीपी ने कहा कि सबइंस्पेक्टर से लेकर आईपीएस तक सब तनाव में हैं। 24 घंटे की नौकरी में तनाव तो है, लेकिन हम उसकी परवाह नहीं करते। कई और तरह के तनाव हैं, जिससे आत्महत्या या जान देने की कोशिश स्थिति आती है। इसी के बाद सोशल मीडिया में कई पुलिस अधिकारी व जवान ने यूपी में पुलिस को आराम देने की मांग शुरू कर दी है। एक थाने में तैनात कांस्टेबल आईपीएस की मौत के बाद रो पड़ा और बताया कि दस माह से हमें अवकाश नहीं मिली। 24 घंटे सिर्फ ड्यूटी ही ड्यूटी ही कर रहा हूं। पत्नी व पिता पांच माह से बीमार हैं। एक सप्ताह पहले उन्हें कानपुर बुलवाया और इलाज करवा कर गांव रवाना कर दिया।

काम का दबाव बना रहा बीमार
राज्स सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर पहुंचे कैबिनेट मंत्री सतीश महाना के पास भी व्यक्त करने के लिये सिर्फ शोक संवेदनाऐं ही दिखायी पड़ी। पुलिस महकमें की कार्य प्रणाली को कैसे बदला जाय कि अधिकारी संवर्ग अपने परिवार को समझने और समझाने के लिय, अपनी व्यक्तिगत जिन्दगी जीने के लिये कुछ वक्त निकाल सके, इसके लिये सरकार के पास अभी कहने को कुछ नहीं है। जाने वाले अधिकारी को अन्तिम सलामी यानि गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अखिरी विदाई और मामला खत्म। इस मामले पर मनोचिकित्सक डॉक्टर मनोज सिंह से बात की गई तो उन्होंने भी माना कि पुलिस के साथ अर्धसैनिकबल के जवानों पर काम का अधिक बोझ होता है। वो कई-कई माह अपने परिवार से दूर रहते हैं और 24 घंटे ड्यूटी के चलते डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। डॉक्टर मनोज बताते हैं कि हमारे क्लीनिक में पुलिस के जवानों के अलावा अफसरों की संख्या हरदिन बढ़ती जा रही है। सरकार को इस पर जल्द से जल्द ध्यान देना होगा। नही ंतो आने वाले वक्त में देश को कई अच्छे अफसरों को गवाना पड़ सकता है।