
कानपुर. वो पढ़ाई में अव्वल था और कक्षा दसवीं और बारवीं में प्रथम श्रृणी में उत्तीर्ण कर बीसीए के साथ ही आईएस की तैयारी कर रहा था और कलेक्टर बनकर देश की सेवा करना चाहता था। लेकिन एक इंस्पेक्टर ने उसके सपनों पर पानी फेर दिया। इंस्पेक्टर ने पिता से बदला लेने के कारण निर्दोष बेटे के खिलाफ मर्डर का मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया। एक साल तक सलाखों के पीछे रहने के दौरान वो अपने परिजनों से यहीं कहता रहा कि मैं बेकसूर हूं, मुझे जेल से बाहर निकाल लीजिए। कोर्ट में 370 दिन छात्र के वकील उसकी बेगुनाही साबित करने के लिए डटे रहे और 27 सितंबर को वो दिन आ गया, जब जज ने युवक को बेगुनाह मानते हुए बाइज्जत बरी कर दिया। साथ ही डीजीपी को पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही के लिए आदेशित किया।
क्या था पूरा मामला
किदवई नगर थाना क्षेत्र के जूही लाल कॉलोनी में 10 साल के बच्चे रेहान का शव एक साल पहले बरामद हुआ था। मामले में पुलिस ने पड़ोस में रहने वाले युवक जय प्रताप को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बिना किसी ठोस आधार के पुलिस ने बीसीए के छात्र को अपराधी बना दिया। पुलिस ने फर्जी साक्ष्य जुटा मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी, लेकिन जय के परिजनों ने हिम्मत नहीं हारी। वह मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले गए। सुप्रीम कोर्ट ने 6 माह के भीतर मामले का फैसला करने का आदेश दिया। 14 गवाह कोर्ट के सामने पेश हुए। जिरह के दौरान पुलिस की थ्योरी फेल हो गयी। एडीजी प्रथम ने जय प्रताप को निर्दोष पाते हुए उसे बरी कर दिया। जेल से छूटे जयप्रकाश का कहना है कि तत्कालीन बाबू पुरवा एसओ के खिलाफ उसके पिता ने विजिलेंस में शिकायत की थी, जिससे नाराज एसओ ने किदवई नगर एसओ हरीशंकर मिश्र से मिलकर उसे फंसा दिया।
बेगुनाही के लिए नारको टेस्ट कराने की मांग
मोहित उर्फ जय के परिजनों ने नारको टेस्ट कराने की मांग की थी। मामले की सीबीआई जांच की मांग हाईकोर्ट से की गई थी। इसमें हाईकोर्ट ने मामले में जांच अधिकारी की ओर से चार्जशीट दाखिल करने का हवाला देकर सीबीआई जांच की संस्तुति खारिज कर दी थी। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने में मामले को निस्तारित करने का आदेश दिया था। जेल से छूटने के बाद जय उर्फ मोहित परिजनों के साथ लिपटकर रोया। मोहित ने कहा कि पुलिस ने जान-बूझकर उसका करियर बर्बाद कर दिया। जेल में एक-एक रात रोकर बीती। भगवान पर पूरा विश्वास था। इसलिए उसके साथ गलत नहीं हुआ।
पिटाई में उसका जबड़ा तक हिल गया
बरी किए गए बीसीए छात्र जयप्रताप सिंह उर्फ मोहित को पुलिस ने जमकर यातनाएं दीं। साकेत नगर स्थित होटल से लेकर उसे पराग डेयरी चौकी और जूही थाने में रखकर उसके साथ बर्बरता की गई। पिटाई में उसका जबड़ा तक हिल गया। कई दिनों तक जेल में मोहित ने खाना भी नहीं खाया था। मोहित ने बताया कि 26 अगस्त की शाम को वह घर पर था। तभी पुलिस उसे और उसके भाई को ले गई। फिर भाई को छोड़ दिया और उसे पकड़कर टॉर्चर किया। उसने बताया कि छह दिन तक पुलिस ने होटल, पराग डेयरी, जूही थाने और किदवई नगर में रखकर थर्ड डिग्री दी। उसे खूब पीटा गया और डंडे के दम पर जुर्म कबूल करवाया। उसे भूखा रखा जाता था। पुलिस की दरिंदगी से मोहित के जबड़े में अभी तक दर्द होता है।
वकील के आगे फेल हो गई पुलिस की दलील
बचाव पक्ष के वकील नागेंद्र सिंह ने बताया कि किदवई नगर इंस्पेक्टर हरीशंकर मिश्रा ने कोर्ट के सामने बयान दिया था कि कट्टे से रेहान की गर्दन काटी गई थी। जबकि बरामदगी चापड़ की दिखाई गई है। पुलिस ने गोताखोरों को गवाह के रूप में रामबाबू और निसार पेश करते हुए इनके जरिए चापड़ गंगा बैराज से बरामद होने की बात कही थी। उन्होंने गवाही दी कि पुलिस ने चापड़ बरामदगी की गवाही के लिए के लिए 500 रुपए और शराब की बोतल दी थी। गवाह बनाए गए मोहल्ले के किशोर उत्कर्ष और यशराज ने बताया कि वह घटना के वक्त मौके पर नहीं, बल्कि दूसरी जगह पर खेल रहे थे। रेहान के पिता मेराजुल ने कहा कि बच्चे की हत्या किसने की, वह नहीं बता सकता है।
रिपोर्ट- विनोद निगम
Updated on:
01 Oct 2017 12:33 pm
Published on:
01 Oct 2017 10:55 am
बड़ी खबरें
View Allकानपुर
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
