
कानपुर में बिकरू कांड के बाद शासन ने शस्त्र लाइसेंस की जांच के लिए एसआईटी गठित की थी। करीब 2 साल के बाद एसआईटी ने अपनी जांच की रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। एसआईटी की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
बताया जा रहा है कि एसआईटी को 41,600 शस्त्र लाइसेंस की जांच करने में लगभग दो साल का समय लग गया। जांच में पाया गया कि 200 से ज्यादा शस्त्र लाइसेंस की पत्रावलियां गायब हैं।
एसटीएफ ने विकास दुबे का किया था एनकांउटर
02 जुलाई 2020 की रात अपराधी विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। बिकरू कांड के बाद यूपी एसटीएफ ने विकास दुबे समेत 6 बदमाशों को एनकांउटर कर दिया था। जब पुलिस ने इस मामले की जांच की थी तब खुलासा किया था कि विकास समेत सभी अपराधियों के पास शस्त्र लाइसेंस थे। इन्हीं असलहों से बदमाशों ने पुलिसकर्मियों पर गोलियां बरसाई थीं।
जांच करने में 2 साल का समय लगा
पुलिस ने लाइसेंस के बारे में खुलासा किया तो शासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया। शासन ने आईपीएस देवरंजन वर्मा के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी की जांच में किया तब पता चला कि आपराधिक इतिहास होने के बाद भी उनके लाइसेंस को निरस्त नहीं किया गया, बल्कि उनका नवीनीकरण किया गया। जिसकी वजह से बिकरू कांड जैसी घटना सामने आई थी।
यह भी पढ़ें: मुख्य सचिव डीएस मिश्रा को मिला 1 साल का सेवा विस्तार, 31 दिसंबर को होना था रिटायर्ड
सूत्रों के मुताबिक, कुछ पत्रावलियों की जांच में सामने आया है कि कुछ लाइसेंस में डीएम, एडीएम, एसडीएम और मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर के बिना ही शस्त्र लाइसेंस जारी कर दिए गए हैं। अब अधिकारियों पर विभागीय जांच की तलवार लटक रही है।
Updated on:
30 Dec 2022 07:41 pm
Published on:
30 Dec 2022 07:33 pm
बड़ी खबरें
View Allकानपुर
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
