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Monsoon Update : मानसून की सटीक भविष्यवाणी करता है कानपुर का अनोखा जगन्नाथ मंदिर

Monsoon Update मानसून कब आएगा, आज यह सवाल हर आदमी की जुबां पर है। मौसम विभाग ने अपना पूर्वानुमान बता दिया है। पर यह जानकर हैरान होंगे कि, कानपुर का एक मंदिर मानसून की चमत्कारी भविष्यवाणी करता है। और इस मंदिर की भविष्यवाणी बिल्कुल सटीक रहती है।

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Monsoon Update : मानसून की सटीक भविष्यवाणी करता है कानपुर का अनोखा जगन्नाथ मंदिर

Monsoon Update : मानसून की सटीक भविष्यवाणी करता है कानपुर का अनोखा जगन्नाथ मंदिर

मानसून कब आएगा, आज यह सवाल हर आदमी की जुबां पर है। मौसम विभाग ने अपना पूर्वानुमान बता दिया है। पर यह जानकर हैरान होंगे कि, कानपुर का एक मंदिर मानसून की चमत्कारी भविष्यवाणी करता है। और इस मंदिर की भविष्यवाणी बिल्कुल सटीक रहती है। इस बार भी इस चमत्कारी मंदिर ने भविष्यवाणी कर दी है कि, मानसून 10 से 15 दिन में आ जाएगा। इस मंदिर ने यह भी संकेत दिए हैं कि, इस बार अच्छी बारिश होगी है। मौसम विज्ञानी भी इस बार मानसून की अच्छी बारिश का अनुमान लगा रहे हैं।

जगन्नाथ मंदिर में कई रहस्य

कानपुर के भीतरगांव ब्लाक के बेहटा बुजुर्ग गांव में भगवान जगन्नाथ का मंदिर है। भगवान जगन्नाथ मंदिर अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है। मंदिर के गुंबद पर एक पत्थर जड़ा हुआ है। जो मानसून के बारे में संकेत करता है। इस पत्थर पर मानसून आने से पहले ही बूंदें आ जाती हैं। इन बूंदों को देखकर यहां के पुजारी अनुमान लगाते हैं कि, आने वाला मानसून कैसा रहेगा?

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मानसून का कैसा चलता है पता

जगन्नाथ मंदिर के पुजारी कुड़हा प्रसाद शुक्ला का कहना है कि, इस वर्ष पत्थर पूरी तरह भीगा हुआ है। बूंदों के गिरने की गति भी तेज है। इससे अनुमान है कि अच्छी बारिश होगी। 10 से 12 दिन में मानसून आ जाएगा। करीब महीने भर पहले भी पत्थर गीला हुआ था, तब छोटी-छोटी बूंदें आई थीं जो क्षणिक आंधी-बारिश का संकेत थीं। मानसून से पहले यहां जब बूंदों का आकार छोटा होता है और पत्थर का एक या दो कोना ही गीला होता है तो अच्छी बारिश का संकेत नहीं होता।

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मंदिर कब बना सही जानकारी नहीं

बेहटा बुजुर्ग का भगवान जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा शैली से भिन्न है। उड़ीसा में मंदिरों में भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और बहन सुभद्रा की प्रतिमाएं होती हैं। यहां सिर्फ बलराम की छोटी प्रतिमा है। पुरातत्व विभाग से संरक्षित इस मंदिर के निर्माण काल का अभी सही-सही आंकलन नहीं किया गया है। मंदिर, बौद्ध स्तूप जैसा है। दीवारें करीब 14 फीट मोटी हैं। अणुवृत्त आकार के मंदिर का भीतरी हिस्सा 700 वर्ग फीट का है। यहां एक प्राचीन कुआं और तालाब है।

सम्राट हर्षवर्धन से सम्बंध

मंदिर के बाहर बने मोर व चक्र के निशान देखकर कुछ लोग इसे चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के काल का बताते हैं। मंदिर के द्वार पर स्थापित पट्ट को देखकर इसे 2000 ईसा पूर्व की संस्कृति से भी जोड़ा जाता है।