मास्क की खासियत सुपर एक्टिवेटेड पांच लेयर का मास्क है जो कार्बन लेयर दुर्गंध को अवशोषित कर लेती है, जिससे मास्क के अंदर ताजगी बनी रहेगी। इसी प्रकार बाह्य वातावरण की दुर्गंध भी इसे भेद नहीं पाती है। एक मास्क 15 दिन तक काम करेगा और इसे धोने की भी जरूरत नहीं होगी।
डॉ. पाटिल ने बताया कि कार्बन को मॉडीफाई करके उसके अंदर नैनो आकार के छिद्र करने की प्रक्रिया एक्टिवेटेड कार्बन टेक्नोलॉजी कहलाती है। सुपर एक्टिवेटेड कार्बन में यह प्रक्रिया और अधिक बारीक छिद्रों वाली होती है। मास्क में इन्हीं सुपर एक्टिवेटेड कार्बन कणों की परत चढ़ाई गई है। यह कार्बन कण दुर्गंध उत्पन्न करने वाले सूक्ष्ण कणों को जकड़ लेते हैं और रासायनिक प्रक्रिया के तहत उन्हें अवशोषित कर लेते हैं। कार्बन को चार्ज करके तैयार करने पर उसकी प्रॉपर्टी बदल जाती है, लिहाजा वह शरीर के लिए नुकसानदेह नहीं होता है। वहीं, मास्क की बाहरी परत इलेक्ट्रोचार्जड नैनो पार्टिकल्स की कोटिंग से युक्त है, जिसके संपर्क में आने पर वायरस निष्प्रभावी हो जाता है।
कैसे काम करता है मास्क मास्क में केमिकल बॉंड और एक्विवेटेड कार्बन के कण होते हैं। कार्बन को चार्ज करते तैयार कर उसकी प्रॉपर्टी को बदला जाता है। इससे शरीर को पहुंचने वाले किसी भी नुकसान से व्यक्ति का बचाव होता है। इसमें केमिकल बांड और एक्टिवेटेड कार्बन दुर्गंध को जकड़ लेते हैं। कोई भी दुर्गंध अलग-अलग तरह के ऑर्गेनिक पदार्थों की होती है। यह केमिकल बांड इन पदार्थों के कणों के साथ क्रिया करके उन्हें अवशोषित कर लेता है। मास्क दुर्गंध रोकने के साथ कोरोना वायरस से बचाव में भी प्रभावी है।