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मुन्ना ने भाजपा विधायक कृष्णनंद को सरेआम गोलियों से भूना था

मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में वर्ष 1967 में पैदा हुए मुन्ना को पिता बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे

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munna bajrangi

मुन्ना बजरंगी

कानपुर. कुख्यात डॉन और दर्जनों जिंदगियों का कातिल मुन्ना बजरंगी की जिंदगी का अंत उसी रास्ते पर हुआ, जिस रास्ते पर पिता की इच्छा के खिलाफ चला था। मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में वर्ष 1967 में पैदा हुए मुन्ना को पिता पारसनाथ सिंह पढ़ा-लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे, लेकिन प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी ने उनके अरमानों को कुचल दिया। उसने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई को छोड़ दिया और किशोर अवस्था तक आते-आते उसे कई ऐसे शौक लग गए, जो उसे जुर्म की दुनिया में ले जाने के लिए काफी थे।


वर्चस्व के लिए मुख्तार अंसारी के गैंग में हुआ शामिल

पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। यह गैंग मऊ से संचालित हो रहा था, लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था। मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा और 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद इस गैंग की ताकत बहुत बढ़ गई। मुन्ना सीधे पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था। वह लगातार मुख्तार अंसारी के निर्देशन में काम कर रहा था। पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था, लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय चुनौती बनने लगे। कृष्णानंद को मुख्तार के दुश्मन बृजेश सिंह का हाथ था। उसी के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल-फूल रहा था। इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे। इनके संबंध अंडरवल्र्ड के साथ भी जुड़े गए थे। कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार को रास नहीं आ रहा था। उन्होंने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंपी।


विधायक को सरेआम गोलियों से भूना था

मुख्तार से फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रची, और उसी के चलते 29 नवंबर 2005 को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन-दहाड़े मौत की नींद सुला दिया। उसने अपने साथियों के साथ मिलकर लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाडिय़ों पर एके -47 से 400 गोलियां बरसाई थी। इस हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए थे। पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थीं। इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी। हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा। इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था। भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी। इसलिए उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया। उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों में शामिल होने के आरोप है। वो लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा। पुलिस का दबाव भी बढ़ता जा रहा था। यूपी पुलिस और एसटीएफ लगातार मुन्ना बजरंगी को तलाश कर रही थी। उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था। दिल्ली भी उसके लिए सुरक्षित नहीं था। इसलिए मुन्ना भागकर मुंबई चला गया। उसने एक लंबा अरसा वहीं गुजारा। इस दौरान उसका कई बार विदेश जाना हुआ। उसके अंडरवल्र्ड के लोगों से रिश्ते भी मजबूत होते जा रहे थे। वह मुंबई से ही फोन पर अपने लोगों को दिशा निर्देश दे रहा था।


मुंबई के मलाड इलाके से गिरफ्तार हुआ था मुन्ना

उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे। वह पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था। उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं। लेकिन 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था। माना जाता है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था। इसलिए उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से अपनी गिरफ्तारी कराई थी। मुन्ना की गिरफ्तारी के इस ऑपरेशन में मुंबई पुलिस को भी ऐन वक्त पर शामिल किया गया था। बाद में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि दिल्ली के विवादास्पद एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह की हत्या में मुन्ना बजरंगी का हाथ होने का शक है, इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया।