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मरने के बाद भी हिस्ट्रीशीटर्स की निगरानी कर रही है पुलिस

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि शहर की पुलिस कई सालों से ‘मुर्दों’ की निगरानी कर रही थी. इसका खुलासा गुरुवार को उस वक्त हुआ, जब एसएसपी ने थानेदारों को हिस्ट्रीशीटर्स की कुंडली खंगालने का आदेश दिया.

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Kanpur

मरने के बाद भी हिस्ट्रीशीटर्स की निगरानी कर रही है पुलिस

कानपुर। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि शहर की पुलिस कई सालों से ‘मुर्दों’ की निगरानी कर रही थी. इसका खुलासा गुरुवार को उस वक्त हुआ, जब एसएसपी ने थानेदारों को हिस्ट्रीशीटर्स की कुंडली खंगालने का आदेश दिया. जांच में पता चला कि 30 हिस्ट्रीशीटर की मौत हो जाने के बाद भी उनकी निगरानी की जा रही है, जबकि तीन हिस्ट्रीशीटर्स की तय समय के बाद भी निगरानी की जा रही थी. इस लापरवाही पर एसएसपी ने संबंधित थानेदार को फटकारने के साथ ही मर चुके हिस्ट्रीशीटर्स की हिस्ट्रीशीट को नष्ट करवाया. वहीं तीन बुजुर्ग हिस्ट्रीशीटर्स की निगरानी बंद करा दी.

ऐसी मिली है जानकारी
प्राप्‍त जानकारी के अनुसार एसएसपी के आदेश पर थानेवार हिस्ट्रीशीटर की जानकारी जुटाई गई थी. इसमें पता चला कि चौबेपुर और सजेती के आठ-आठ हिस्ट्रीशीटर की मौत हो चुकी है. फीलखाना और ककवन के तीन-तीन हिस्ट्रीशीटर की मौत हो चुकी है. ग्वालटोली, नौबस्ता, रेलबाजार, कलक्टरगंज और हरबंस मोहाल के एक-एक हिस्ट्रीशीटर की मौत हो चुकी है. इसके बाद भी इन हिस्ट्रीशीटरों की निगरानी की जा रही थी. वहीं, ककवन के दो और चकेरी के एक हिस्ट्रीशीटर की तय समय के बाद भी निगरानी की जा रही थी. एसएसपी ने इन तीनों की हिस्ट्रीशीट को बंद करा दिया.

बताया गया है ऐसा
बताया गया है कि जिन अपराधियों पर कई मुकदमे दर्ज होते हैं और वे लगातार अपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं. इसके अलावा जो अपराधी गिरोह बनाकर अपराध करते हैं. इन अपराधियों पर नजर रखने के लिए पुलिस हिस्ट्रीशीट खोलती है. पुलिस को अपराधी की हिस्ट्रीशीट खुलने पर हर पंद्रह दिन में उसके घर जाकर तस्दीक करना होता है कि वह घर पर रह रहा है या नहीं. वह किन लोगों के संपर्क में रहता है और वह क्या काम कर रहा है.

बिना तस्‍दीक के भेज देते हैं रिपोर्ट
पुलिस अधिकारी बिना अपराधियों के घर पर जाकर तस्दीक किए बिना ही थाने में बैठकर कागजों पर रिपोर्ट बनाकर आला अफसर को भेज देते हैं. सिर्फ चुनाव या अन्य कोई बवाल होने पर हिस्ट्रीशीटर के बारे में पता लगाया जाता है. यही वजह है कि 30 हिस्ट्रीशीटर की मौत होने के बाद भी कागजों में उनकी निगरानी हो रही थी.