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क्या वाकई अखिलेश को प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगे शिवपाल ?, सपा में बगावत

प्रमुख महासचिव का पद और सम्मान नहीं मिलेगा तो अखिलेश यादव को प्रधानमंत्री की कुर्सी से दूर कर दिया जाएगा।

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क्या वाकई अखिलेश को प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगे शिवपाल ?, सपा में बगावत

कानपुर. मिशन 2019 के लिए भाजपा के खिलाफ मोर्चा बनाने में जुटे सपा के सुल्तान अखिलेश यादव की राह में उनके सगे चाचा ने कांटे बोने फिर शुरू कर दिए हैं। शिवपाल सिंह ने सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रमुख महासचिव का पद नहीं मिलने के बाद सेक्युलर मोर्चा का गठन शुरू कर दिया है। ईद के बाद मोर्चे के पदाधिकारियों के नाम घोषित कर दिए जाएंगे। इसी के साथ सेक्युलर मोर्चे के पदाधिकारी अगले वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव तक सपा के असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक बैनर के नीचे एकत्र करेंगे। रणनीति यह भी है कि सपा-बसपा- कांग्रेस का गठबंधन होने की स्थिति में अधिकांश स्थानों पर सपा के नेताओं को टिकट नहीं मिलेगा, ऐसे स्थानों पर टिकट के लिए पांच साल मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को भी शिवपाल अपने साथ जुटाकर नया राजनीतिक समीकरण तैयार करेंगे। कुल मिलाकर शिवपाल खेमे की कोशिश है कि प्रमुख महासचिव का पद और सम्मान नहीं मिलेगा तो अखिलेश यादव को प्रधानमंत्री की कुर्सी से दूर कर दिया जाएगा।

मोर्चे का लैटरहेड जारी, पदाधिकारियों के नाम भी तय

शिवपाल सिंह यादव के खास समर्थकों ने सेक्युलर मोर्चे का लैटरहेड जारी करते हुए बताया है कि नया मोर्चा सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ेगा। लैटरहेड पर सेक्युलर मोर्च का निशान बना है, जबकि दूसरी ओर शिवपाल सिंह यादव की फोटो लगी है। शिवपाल सिंह के साथ रहने वाले कानपुर के एक सपा नेता ने दावा किया कि सेक्युलर मोर्चा तो एक साल से प्रस्तावित था, लेकिन शनिवार को शिवपाल सिंह यादव की सहमति के बाद ऐलान किया गया है। गौरतलब है कि रविवार को सुबह ही इटावा से लखनऊ पहुंचे थे, उसके बाद देर शाम सेक्युलर मोर्चे पर अंतिम मुहर लग गई।


पदाधिकारियों के नाम तय, ईद के बाद करेंगे ऐलान

शिवपाल के मोर्चे के लिए सभी प्रमुख पदाधिकारियों के नाम तय हो चुके हैं, लेकिन खुलासा ईद के बाद यानी 15 जून के बाद किया जाएगा। पदाधिकारियों की टोली में शिवपाल सिंह फैन्स क्लब के कई पदाधिकारी भी शामिल हैं। पदाधिकारियों को फिलहाल मौखिक आदेश दिये गए हैं कि ऐसे लोगों का मन टटोला जाए, जोकि पार्टी के हालिया रवैये और नीतियों से नाराज हैं। असंतुष्ट सपा नेताओं में असरदार चेहरों को भी शिवपाल सिंह के सेक्युलर मोर्चे में शामिल करने का प्रयास होगा। यह कवायद सिर्फ मिशन 2019 के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर दबाव बनाने के लिए है। नवगठित सेक्यूलर मोर्चा के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने एक पत्र जारी करते हुए बताया कि रविवार को इस मोर्चे का गठन किया गया है । पत्र में बताया गया है कि 10 जून 2018 को सेक्यूलर मोर्चा का गठन किया गया और रविवार को मोर्चा की बैठक में फरहत हसन खान को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव लाया गया। संगठन की ओर से बताया गया है कि अगले दो दिन के अंदर मोर्चा के पदाधिकारियों की घोषणा कर दी जाएगी और ईद के बाद पूरे यूपी के मंडल प्रभारी, नगर, ब्लॉक और विधानसभा स्तर पर पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर घोषणा की जाएगी ।


अखिलेश को प्रधानमंत्री के रूप में देखना पसंद नहीं

चर्चा है कि सपा में किनारे लगाए गए शिवपाल सिंह यादव किसी भी सूरत में भतीजे अखिलेश यादव को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं देखना चाहते हैं। इसी कारण उन्होंने मिशन 2019 में कांटे बोने के लिए सेक्युलर मोर्चे का गठन कर लिया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जल्द ही सामाजिक न्याय यात्रा निकालकर शिवपाल सिंह यादव और उनके समर्थक ऐसा माहौल बनाएंगे कि सपा-बसपा गठबंधन को लोकसभा चुनावों में कामयाबी नहीं मिले। इस रणनीति के जरिए शिवपाल सिंह एक तीर से दो निशाने लगाएंगे। अव्वल भविष्य में भाजपा या कांग्रेस की टोली में शामिल होने का मौका मिलेगा, दूसरे अखिलेश और मायावती से राजनीतिक बदला भी पूरा होगा।


पार्टी के अंदर आने वाला है जल्द ही बड़ा तूफान

सपा के पुख्ता सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से तीन-चार महीने पहले पार्टी के अंदर बड़ा तूफान आएगा। समाजवादी पार्टी की मुख्यधारा से अलग-थलग चल रहे हैं पार्टी के कद्दावर और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव ने भी इशारा किया है कि प्रत्येक व्यक्ति अपना निर्णय लेने के लिए आजाद है। उधर, शिवपाल सिंह के तेवरों को देखकर अखिलेश ने अभी से डेमैज कंट्रोल की कोशिश को शुरू कर दिया है। इसी नाते पिछले दिनों गृह नगर सैफई पहुंचे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सिलसिलेवार एक-एक पार्टी कार्यकर्ता से हालचाल पूछा। पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव और चचेरे चाचा प्रोफेसर रामगोपाल यादव से शनिवार को अकेले में एक घंटे तक बंद कमरे में संवाद किया, लेकिन शिवपाल सिंह से मुलाकात से परहेज किया।