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शिवपाल यादव के इस प्लॉन से डरे अखिलेश, बाहुबली के जरिए बिगाड़ेंगे गठबंधन का खेल

विधानसभा चुनाव 2017 में शिवपाल यादव ने कैंट से दिया था टिकट, मोदी लहर के बाद अतीक के चलते बीजेपी को उठानी पड़ी थी हार

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शिवपाल यादव के इस प्लॉन से डरे अखिलेश, बाहुबली के जरिए बिगाड़ेंगे गठबंधन का खेल

कानपुर। विधानसभा चुनाव 2017 में कानपुर की 10 में से 7 सीटों पर पार्टी को प्रचंड जीत मिली। लेकिन मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट की नूर ( कैंट आर्यनगर, सीसामऊ विधानसभा सीट ) पर कब्जा अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने कर लिया। लेकिन इन तीनों सीटों पर पर साइकिल और पंजे के लिए इलाहाबाद के बाहुबली नेता अतीक अहमद ने तैयार कर के दी थी। बीस माह पहले शिवपाल यादव ने अतीक को कैंट सीट से उम्मीदवार घोषित किया। बाहुबली ने करीब डेढ़ माह तक जमकर प्रचार किया। गई धड़ों में बंटे मुस्लिम वोटर्स को सपा-कांग्रेस के साथ लाकर बीजेपी के गढ़ में सेंध लगा दी थी। इन तीनों सीटों पर कमल नहीं खिला। कद्दावर नेता सलिल विश्नोई तक को भी हार उठानी पड़ी थी। पर समाजवादी पार्टी से अगल होकर सेक्युलर मोर्चे का गठन कर शिवपाल अब महागठबंधन को पटखनी देरे के लिए अपने पुराने साथियों पर दांव लगा सकते हैं। शिवपाल खेमें के नेता रज्जाक अहमद कहते हैं कि यदि कानपुर से पूर्व सांसद अतीक अहमद को टिकट देकर चुनाव में शिवपाल उतारते हैं तो सपा, बसपा, बीजेपी की हार तय हैं।

2017 में बीजेपी को उठानी पड़ी हार
समाजवादी पार्टी से अगल होकर शिवपाल यादव ने सेक्युलर मोर्चे का गठन कर यूपी की सियासत में भूचाल ला दिया। पूर्व मंत्री के इस कदम से सबसे ज्यादा परेशान अखिलेश यादव, राहुल गांधी और मायावती बताई जा रही हैं। शिवपाल यादव अब समाजवादी पार्टी के बड़े नेताओं को मोर्चे में शामिल कर लोकसभा चुनाव में उताराने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। शिवपाल फैन्स एसोसिएशन के सदस्य अजय यादव ने बताया कि 1991 से लेकर 2012 तक यहां बीजेपी का कब्जा रहा। पर शिवपाल यादव ने बाहुबली अतीक अहमद को यहां से साइकिल का सैंबेल देकर चुनाव से पहले उतार था। अतीक अहमद ने बीजेपी के किले में सेंध लगा दी और यहां से कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी। इतना ही नहीं, अतीक के चलते भाजपा को आर्यगनर और सीसामऊ सीट में भी हार उठानी पड़ी थी। अगर शिवपाल यादप 2019 में पूर्व सांसद अतीक अहमद को कानपुर से चुनाव लड़ाते हैं तो वो राजनीतिक दलों को कड़ी टक्कर देंगे।

कांग्रेस के बाद कमल का कब्जा
कैंट सीट के इतिहास की बात करें तो 1989 से पहले इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। 1980 में भूधर नारायण मिश्रा यहां से जीते तो 1985 में पशुपति नाथ ने यहां से कांग्रेस का परचम लहराया। 1989 में जब चुनाव हुआ तो जनता दल की लहर पूरे शबाब पर थी और पार्टी के उम्मीदवार गणेश दीक्षित ने यहां से जीत दर्ज की। जब 1991 में भाजपा अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण करने के वायदे के साथ मैदान में उतरी। राम लहर का परिणाम था कि इस सीट पर भाजपा के सतीश महाना जीते। उन्होंने कांग्रेस के श्याम मिश्रा को हराया तब से लगातार भाजपा इस सीट पर जीत दर्ज करती रही। 1993 में सपा-बसपा का गठजोड़ हुआ तो सपा ने गणेश दीक्षित को प्रत्याशी बनाया, लेकिन वे हार गए। भाजपा के सतीश महाना ने उन्हें पटखनी दी। 1996 में भगवा यहां लहराया। 2002 और 2007 के चुनाव में भी भाजपा के सतीश महाना जीतते रहे। हर चुनाव में कांग्रेस, सपा, बसपा जैसे बड़े दलों ने भाजपा से यह सीट छीनने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। हर बार उन्हें मतदाताओं का मूड भांपने में निराशा ही हाथ लगी। 2012 में सतीश महाना ने यह सीट छोड़ दी थी और वे महाराजपुर से चुनावी समर में उतर गए थे। भाजपा ने कैंट से रघुनंदन भदौरिया को टिकट दिया तो वे जीते भी।

तीन सीटें मुस्लिम बाहूल्य
कानपुर नगर सीट की बात की जाए तो कैंट, सीसामऊ और आर्यनगर विधानसभा सीटें मुस्लिम बाहूल्य मानी जाती है। सबसे ज्यादा कैंट में करीब 60 फीसदी मुस्लिम वोटर्स हैं। पर 2017 विधानसभा चुनाव के वक्त मुस्लिम वोटर्स सपा, बसपा और कांग्रेस में बंट जाते थे और इसी का फाएदा बीजेपी को मिलता था। लेकिन शिवपाल यादव ने इलाहाबाद के बाहुबली नेता व पूर्व सांसद अतीक अहमद को कैंट से टिकट देकर चुनाव के मैदान में उतारा। अतीक के चलते बीजेपी का खेल बिगड़ गया और तीनों सीटें सपा व कांग्रेस के खाते में चली गईं। इसी के चलते शिवपाल के करीबी अतीक अहमद को 2019 के लोकसभा चुनाव में कानपुर से टिकट देकर चुनाव के मैदान में उतारे जाने की मांग कर रहे हैं। शिवपाल के एक करीबी पूर्व विधायक ने बताया कि पशुपतिनाथ के दर्शन के बाद पूर्व मंत्री अतीक अहमद से मुलाकात कर सकते हैं और उन्हें कानपुर के साथ ही अन्य सीट पर टिकट देकर चुनाव के मैदान में उतार सकते हैं।

शिवपाल के साथ जाने के दिए संकेत
देवरिया से इलाहाबाद पेशी पर आए पूर्व सांसद अतीक अहमद ने एक सवाल के जवाब में कहा है कि मेरे राजनीतिक विकल्प अभी खुले हुए हैं। अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शिवपाल सिंह यादव की पार्टी समाजवादी सेक्युलर मोर्चा में जाने के सवाल पर अतीक अहमद ने कहा कि बात हुई है। वह मुझसे मिलने आने वाले हैं। मुलाकात के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। अतीक ने कहा कि अगर वो मेरे पास मिलने आते हैं तो हम उनकी पार्टी के बारे में बात कर सकते हैं। इसी के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवपाल यादव अतीक अहमद के साथ मुलाकात कर उन्हें फिर से कानपुर से चुनाव लड़ने के लिए राजी कर सकते हैं। वहीं भाजपा नेता भी अतीक और शिवपाल के बीच होने वाली मुलाकात पर नजर बनाए हुए है। भाजपाईयों का मानना है कि अतीक अहमद चुनाव में उतरने पर सपा-बसपा के वोटबैंक में सेंधमारी कर सकते हैं।