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सोनिया गांधी के भरोसेमंद श्रीप्रकाश की बीच सडक़ पर बेइज्जती, मुर्दाबाद के नारे गूंजे

आंदोलन के दौरान देर से पहुंचे और जल्दी निकले श्रीप्रकाश जायसवाल को अपने ही कार्यकर्ताओं का कोपभाजन बनना पड़ा।

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sriprakash jaiswal

सोनिया गांधी के भरोसेमंद श्रीप्रकाश की बीच सडक़ पर बेइज्जती, मुर्दाबाद के नारे गूंजे

कानपुर . तीन मर्तबा के सांसद और केंद्र की मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे कद्दावर नेता श्रीप्रकाश जायसवाल की बीच सडक़ पर बेइज्जती का मामला सामने आया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री की बेइज्जती करने वाले कोई और नहीं, बल्कि शहर कांग्रेस कमेटी के नेता-कार्यकर्ता हैं। यह माजरा उस समय हुआ, जब कांग्रेस कमेटी के बुलावे पर श्रीप्रकाश जायसवाल बिजली व्यवस्था के खिलाफ आयोजित धरने में शामिल होने पहुंचे थे। मंच पर करीब पांच मिनट बैठने के बाद श्रीप्रकाश उठकर चल दिए। कारण था उन्हें तत्काल संबोधित करने का मौका नहीं मिला। जायसवाल की इस तुनकमिजाजी पर धरने में शामिल कांग्रेसियों को बुरा लगा। इसी दौरान वरिष्ठ नेता अमीन खान ने टिप्पणी उछालकर कहाकि ज्यादा गर्मी लगी है, इसी कारण निकल रहे हैं। श्रीप्रकाश ने इस टिप्पणी को नजरअंदाज किया तो कुछेक अन्य कार्यकर्ताओ ने चुनाव के वक्त देखने का जुमला उछाल दिया। इसी दौरान एक उत्साहित कार्यकर्ता ने केस्को एमडी मुर्दाबाद को नारे छोडक़र कांग्रेस पार्टी मुर्दाबाद के नारे लगाना शुरू कर दिया। हरकत बढ़ती देखकर शहर कांग्रेस के मुखिया हरप्रकाश अग्निहोत्री ने सभी को डांटकर चुप कराया।


मिशन 2019 की तैयारियों के दौरान हुआ घमासान

अब मिशन 2019 के लिए कांग्रेस के रणबांकुरे सडक़ पर निकल पड़े हैं। इरादा दिल्ली सिंहासन पर कांग्रेसी परचम लहराना है। यूपी की सियासत में गठबंधन की उम्मीद को किस्मत के सहारे छोडक़र पार्टी ने समूचे यूपी में आंदोलनों के जरिए कार्यकर्ताओं में जोश जगाने का अभियान छेड़ा है, साथ ही यह पैगाम देने की कोशिश है कि कांग्रेस के इंकलाबी तेवर अभी जिंदा हैं। इसी सिलसिले में पार्टी ने लोकसभा की ऐसी सीटों पर हो-हल्ला करना शुरू कर दिया है, जहां जीत की संभावनाएं अधिक हैं। इसी नाते कानपुर में बिजली की बदहाल व्यवस्था के खिलाफ पार्टी ने केस्को यानी बिजली मुख्यालय पर अनशन किया। नेताओं ने जमकर भाजपा सरकारों के खिलाफ भड़ास निकाली। कांग्रेस के इंकलाबी तेवरों से भाजपा नेताओं को डर लगने लगा है। मुरली मनोहर जोशी के कार्यकाल और उनकी गैर-मौजूदगी से नाराज जनता को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस ने प्रत्येक माह जन-सरोकार से जुड़े मुद्दों पर आंदोलन करने का ऐलान कर दिया है। इसी आंदोलन के दौरान देर से पहुंचे और जल्दी निकले श्रीप्रकाश जायसवाल को अपने ही कार्यकर्ताओं का कोपभाजन बनना पड़ा।


चौपट बिजली ने कानपुर को बनाया अंधेर नगरी

आसमान से बरसती आग के बीच दोपहर 12 बजे सिविल लाइंस के केस्को मुख्यालय के सामने मंच पर जुटे कांग्रेसियों ने एकस्वर में कहाकि प्रदेश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला कानपुर शहर बिजली के मामले में सौतेलेपन का शिकार है। शहर कांग्रेस अध्यक्ष हरप्रकाश अग्निहोत्री बोले कि बिजली की किल्लत के कारण मरीजों की मौत का ग्राफ उठा है। बच्चे-बुजुर्ग बीमार पड़ रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलोक मिश्र ने कहाकि जबरदस्त बिजली कटौती के कारण कारोबार चौपट है। रोजी-रोटी का संकट खड़ा है। केंद्र से लेकर शहर तक में भाजपा की सरकार है, बावजूद बिजली मुहैया कराने के नाम पर बहानेबाजी जारी है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मंत्री कृपेश त्रिपाठी ने कहाकि मोदी और योगी ने प्रत्येक गांव को शहर बनाने का वादा किया था, लेकिन यहां उल्टी गंगा बहने लगी है। महानगरों को गांव से बदतर बना दिया गया है। कांग्रेसियों के धरने में पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, विधायक सोहेल अंसारी, शंकरदत्त मिश्र, बृजेश त्रिपाठी, अशोक धानविक, शरद मिश्रा, इकबाल अहमद, पवन गुप्ता, प्रमोद जायसवाल, अमीम खां, आमोद त्रिपाठी, अमनदीप सिंह, अश्वनी चढ्ढा, रफत जमाल, अरुणेश निगम कमल जायसवाल, अतहर नईम, मेवालाल कठेरिया, ग्रीनबाबू सोनकर समेत डेढ़-दो सौ लोग मौजूद रहे।


कांग्रेसियों के कंरट से भाजपाइयों को झटका

दरअसल, कानपुर शहर की लोकसभा सीट की बात करें तो बीते 28 साल से यहां सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच होता रहा है। कम्युनिस्ट सुभाषिनी अली के बाद भाजपा के जगतवीर सिंह द्रोण ने तीन मर्तबा कमल खिलाया तो अगली तीन मर्तबा श्रीप्रकाश कांग्रेस के सिकंदर साबित हुए। बीते चुनाव में मोदी लहर पर सवार आयतित प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी को कानपुर की जनता ने अपना नुमाइंदा चुन लिया। मोदी सरकार के चार साल में डॉ. जोशी सिर्फ आठ मर्तबा कानपुर आए। विकास कार्य भी नजर नहीं आए। ऐसे में कानपुर की जनता भाजपा से सख्त नाराज है। अभी चुनाव दूर हैं, लेकिन मौजूदा हालात में कांग्रेस का पलड़ा भारी दिखता है। वजह यहकि शहर लोकसभा क्षेत्र की पांच में तीन विधानसभा सीटों पर गैर भाजपाई विधायक हैं। किदवई नगर और गोविंदनगर विधानसभा क्षेत्रों में मेयर चुनाव के दौरान कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के बीच सिर्फ 25 हजार वोटों का अंतर था। जोशी से नाराजगी को भुनाकर कांग्रेस इस अंतर को पाटने की जुगत में लगी है। इसी कारण कांग्रेस की जन-सरोकार के मुद्दों पर बढ़ती सक्रियता ने भाजपा को बेचैन कर दिया है।


धरने में शामिल कई चेहरे टिकट की दौड़ में

यूं तो कांग्रेस का धरना बिजली व्यवस्था के खिलाफ था, लेकिन असल मकसद जनता के बीच अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराना था। इसी के साथ धरने में शामिल कुछ चेहरे अपनी उम्मीदवारी को पुख्ता करने के इरादे से जुटे थे। शहर कमेटी के मुखिया हरप्रकाश अग्निहोत्री के नाम पर चर्चा जारी है। बड़े नेताओं की आपसी लड़ाई में अग्निहोत्री की लाटरी खुल सकती है। तीन मर्तबा के सांसद श्रीप्रकाश भी टिकट की दौड़ में हैं, लेकिन कयास है कि उम्र की बाधा में जायसवाल फंस जाएंगे। डीपीएस वाले आलोक मिश्र ने प्रदेश नेतृत्व से रिश्ते जोडक़र खुद को मजबूत किया है, लेकिन निकाय चुनाव में उनकी पत्नी को टिकट मिला था। ऐसे में एक ही परिवार को लगातार टिकट देने पर पार्टी में विद्रोह की स्थिति बन सकती है। टिकट के एक अन्य दावेदार पूर्व विधायक अजय कपूर नजर नहीं आए। इसके अलावा श्रीप्रकाश जायसवाल के छोटे भाई प्रमोद जायसवाल और पवन गुप्ता भी टिकट की चाहत रहते हैं।